भाजपा सरकार में रही पूर्व में साझीदार जजपा पार्टी के लिए एक नई मुसीबत सामने आई है। इस बार दुष्यंत चौटाला के सामने पार्टी में टूट-फूट का खतरा मंडरा रहा है। विश्वास मत के दौरान पांच विधायक ऐसे थे जो व्हिप जारी होने के बावजूद सदन में गए थे। हालांकि उन्होंने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। अगर पार्टी टूटती है तो उसके लिए लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका होगा।
हरियाणा (Haryana News) की भाजपा सरकार में साझीदार रह चुकी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में टूट-फूट के आसार बन रहे हैं। जेजेपी (JJP) के मुख्य सचेतक द्वारा जारी व्हिप का उल्लंघन कर विधानसभा पहुंचे पांच विधायक जहां पार्टी में तोड़फोड़ करने की कोशिश में हैं, वहीं वरिष्ठ उपाध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ( Dushyant Chautala) की कोशिश जेजेपी को टूट-फूट से बचाकर चुनावी रण में पूरी मजबूती के साथ खड़ा रखने की है।
पार्टी को बचाए रखने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए जेजेपी विधायक दल के नेता दुष्यंत चौटाला ने फिलहाल उन पांचों विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी नहीं करने का निर्णय लिया है, जिन्हें दो दिन पहले जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने विधानसभा में पहुंचने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगने के संकेत दिए थे।
विधानसभा में जननायक जनता पार्टी के 10 विधायक हैं। पांच विधायक देवेंद्र बबली (Devendra Babli) रामकुमार गौतम (Ramkumar Gautam), ईश्वर सिंह (Ishwar Singh), रामनिवास सुरजाखेड़ा (Ramniwas Surjakheda) और जोगी राह सिहाग ( Jogi Rah Sihag) 13 मार्च को विधानसभा में पहुंचे थे। उस दिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (CM Nayab Saini) ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना था। एक दिन पहले भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद जेजेपी के मुख्य सचेतक अमरजीत ढांडा ने तीन लाइन का व्हिप जारी करते हुए कहा था कि जेजेपी के सभी विधायकों को विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहना है।
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने इस तरह के व्हिप पर सवाल उठाए थे, लेकिन फिर भी यह पांचों विधायक विधानसभा में चले गए थे, मगर विश्वास मत पर चर्चा और उसके ध्वनिमत से पारित होने के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे। उसी दिन हिसार में जेजेपी की नव संकल्प रैली थी, जिसमें ये पांचों विधायक नहीं पहुंचे थे, लेकिन पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, विधायक नैना सिंह चौटाला, अनूप धानक, अमरजीत ढांडा और रामकरण काला ने रैली में भागीदारी की थी।
10 सदस्यीय पार्टी में यदि सात विधायक एक तरफ हो जाएं और पार्टी के टूटने की घोषणा कर दें तो जेजेपी टूट-फूट का शिकार हो जाएगी। ऐसे में बताया जाता है कि विधानसभा में पहुंचे पांचों विधायक जेजेपी के दो अन्य विधायकों को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटे हैं। उनकी इन विधायकों के साथ कई मीटिंग हो चुकी है।
दूसरी तरफ, दुष्यंत चौटाला के भी प्रयास हैं कि जो पांच विधायक बागी सुर अपनाए हुए हैं, उनमें सेंधमारी करते हुए अधिकतर को अपने साथ जोड़कर रखा जाए, ताकि पार्टी में बिखराव पैदा न हो। जेजेपी के बागी पांचों विधायकों की यह भी कोशिश है कि वे अपने पदों से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो जाएं।
लेकिन भाजपा करनाल के साथ-साथ पांच इन विधायकों की खाली विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हेतु बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। इसलिए उन्हें अपने पदों पर बने रहने के लिए कह दिया गया है। भाजपा को आशंका है कि यदि छह उपचुनाव हो गए और कांग्रेस को कुछ सीटें मिल गई तो विधानसभा चुनाव में गलत संदेश जाएगा। ऐसे में जेजेपी के इन बागी पांचों विधायकों को अभी तटस्थ रहने के संकेत दिए गए हैं। तब तक दुष्यंत चौटाला की भी कोशिश है कि वह अपने बागियों को मनाने के लिए तमाम प्रयासों को सिरे चढ़ा सकें।