स्कूली बच्चों की नजरों से ब्लैक बोर्ड ओझल होने लगा है। मोबाइल, लैपटॉप, टैब, स्क्रीन से चिपके होने से यह स्थिति बन रही है। कोविड के बाद से हालात ज्यादा बिगड़े हैं। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (पीजीआईएमएस) के क्षेत्रीय नेत्र रोग संस्थान के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां की ओपीडी में रोजाना करीब 20 प्रतिशत केस नजरें कमजोर होने के आ रहे हैं।

  • आठ से 15 वर्ष के 30 बच्चों पर अध्ययन किया गया। इन्हें 15-15 के दो ग्रुपों में बांटा गया। इनमें से 15 बच्चों को सिर्फ चश्मा दिया गया। जबकि अन्य 15 को चश्मे के अलावा दवा व व्यायाम कराया गया।
  • चश्मे के साथ दवा डालने व व्यायाम करने वाले बच्चों की आंखों में सुधार दर्ज किया गया। जबकि केवल चश्मे लगाने वाले बच्चों का नंबर बढ़ गया। इस अध्ययन को नेशनल सीएमई में सभी ने सराहा। इसे प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।

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