हरियाणा में चुनाव से पहले इनेलो को बड़ा झटका लगा है। 2019 में टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से इस्तीफा देने वाले श्याम राणा ने फिर भाजपा में घर वापसी कर ली है। जिसके कारण रादौर में विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर एक बार फिर से पेंच फंस सकता है।
इनेलो नेता व पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें सीएम नायब सिंह सैनी ने शुक्रवार को अपने आवास पर पटका पहनाकर पार्टी में शामिल किया। इनेलो ने राणा को मौखिक तौर पर रादौर से उम्मीदवार घोषित कर रखा था और वह पार्टी के राष्ट्रीय संगठन सचिव के पद पर तैनात थे। हालांकि इनेलो से पहले वह भाजपा में शामिल थे और 2014 में विधायक भी चुने गए थे, मगर 2019 में टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।
सीएम ने श्याम सिंह राणा को अपना घनिष्ठ मित्र बताया
इस मौके पर सीएम ने श्याम सिंह राणा को अपना घनिष्ठ मित्र बताया और कहा कि सभी नए साथियों को भाजपा में पूरा मान और सम्मान मिलेगा। इस दौरान सीएम सैनी ने पूर्व सीएम पर निशाना साधते हुए कहा- हुड्डा साहब को पोर्टल के कारण पेट में दर्द हो रहा है क्योंकि पोर्टल के जरिये लोगों को सीधा लाभ पहुंच रहा है।
हुड्डा कभी नहीं चाहेंगे कि लोगों को सीधा लाभ मिल सकें, इसलिए वे पोर्टल को खत्म करने की बातें बार-बार करते हैं। उन्होंने कहा- 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार में भ्रष्टाचार और भेदभाव होता था। कांग्रेस शासनकाल में गरीब घर का युवा सरकारी नौकरी के बारे में सोच भी नहीं सकता था। 24 घंटे बिजली देने का वादा करके कांग्रेस पलट जाती थी। सीएम सैनी ने कहा कि 2014 में जनता ने कांग्रेस के कुशासन से तंग आकर भाजपा को सत्ता सौंपी।
भाजपा सरकार ने पारदर्शी और ईमानदारी से शासन चलाया। युवाओं को बिना पर्ची और बिना खर्ची के नौकरी दी। 24 घंटे बिजली देने का वादा भाजपा ने पूरा किया और आज गांवों में भी 24 घंटे बिजली आ रही है। इस मौके पर राणा ने कहा- नायब सिंह सैनी और मैं एक ही टेबल पर बैठते थे और हम दोनों का राजनीतिक जीवन संघर्ष का रहा है।
विधानसभा में टिकट को लेकर फिर से रार मचनी तय
रादौर में फंसेगा पेच आगामी चुनाव में रादौर विधानसभा में टिकट को लेकर फिर से रार मचनी तय है। 2019 में भाजपा ने श्याम सिंह राणा का टिकट काटकर कर्णदेव कांबोज को टिकट दे दिया था। इससे नाराज होकर श्याम सिंह राणा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, कांबोज भी चुनाव हार गए थे। चुनाव हारने के बाद कांबोज क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं। वह पिछले चार साल से मेहनत कर रहे हैं और पार्टी के सभी कार्यक्रमों को जोर-शोर से आयोजित करवाते रहे हैं। राणा का भी यही कर्मक्षेत्र रहा है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर एक बार फिर से पेंच फंस सकता है।