पानीपत जिले की चारों विधानसभा सीटों पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर की संभावना जताई जा रही है। 2014 के बाद से भाजपा ने जिले में अपनी स्थिति मजबूत की है, लेकिन समालखा विधानसभा क्षेत्र में अब तक भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई है। दूसरी ओर, पानीपत ग्रामीण विधानसभा सीट पर कांग्रेस को लगातार झटके लगे हैं।
समालखा सीट पर भाजपा का संघर्ष जारी
समालखा विधानसभा सीट पर अब तक 13 चुनाव हुए हैं, जिनमें पांच बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। एक बार यहां से निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र मच्छरौली ने बाजी मारी, जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस, जनता दल और लोकदल को भी सफलता मिली है। हालांकि, भाजपा अब तक यहां कमल नहीं खिला पाई है। 2019 में गृह मंत्री अमित शाह की रैली के बावजूद भाजपा को सफलता नहीं मिली, हालांकि पिछले दो चुनावों में पार्टी दूसरे स्थान पर रही है।
पानीपत ग्रामीण सीट पर भाजपा का दबदबा
पानीपत ग्रामीण विधानसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इसका अधिकांश हिस्सा नौल्था विधानसभा क्षेत्र में आता था। 2009 में इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार ओमप्रकाश जैन ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2014 और 2019 में भाजपा के महिपाल ढांडा ने यहां से जीत हासिल की। महिपाल ढांडा वर्तमान में प्रदेश के पंचायत मंत्री हैं। कांग्रेस की इस सीट पर अब तक जमानत जब्त होती रही है।
पानीपत शहरी सीट पर भाजपा और कांग्रेस की पुरानी प्रतिस्पर्धा
पानीपत शहरी विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच पारंपरिक मुकाबला रहा है। इस सीट पर दो बार भाजपा और चार बार जनसंघ ने जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने पांच बार बाजी मारी है। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा, जिससे इस बार पार्टी वापसी के लिए पूरी ताकत लगाएगी।
इसराना सीट पर भी कड़ा मुकाबला
इसराना विधानसभा सीट 2009 में बनी थी। 2009 में इनेलो ने यहां जीत हासिल की थी, जबकि 2014 में भाजपा के कृष्ण लाल पंवार विजयी हुए। 2019 में कांग्रेस के बलबीर वाल्मीकि ने इस सीट से जीत दर्ज की। इस बार भी इसराना सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है।