राजकीय विद्यालयों में बच्चों को परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन (मिड-डे-मील) की अब हर महीने प्रयोगशाला में जांच कराई जाएगी। खाने की परीक्षण रिपोर्ट मुख्यालय भेजनी होगी। किसी स्कूल में खाने की गुणवत्ता खराब मिली तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मौलिक शिक्षा निदेशक ने सभी मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि महीने में एक बार विद्यालय प्रभारी या फिर मिड-डे-मील इंचार्ज भारत सरकार द्वारा अनुमोदित की गई प्रयोगशाला में एक बार परीक्षण जरूर करवाएंगे।

  • स्कूलों में मिड-डे मील की गुणवत्ता पर अकसर सवाल उठते रहे हैं। खाने में छिपकली या अन्य वस्तुओं के मिलने के मामले आए दिन सामने आते हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने हर महीने लैब में खाद्य सामग्री की जांच कराने का निर्णय लिया है।

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