हरियाणा में कांग्रेस हाईकमान हुड्डा की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता। इसलिए पूर्व सीएम हुड्डा के करीब को ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। अगले साल होने वाले 2 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के चलते कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र हुड्डा के करीबी को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देनी तय की है। क्योंकि राज्यसभा की 2 में से 1 सीट पर कांग्रेस की जीत तय है लेकिन हुड्डा के समर्थन के बिना कांग्रेस उम्मीदवार का जीतना मुश्किल होगा। ज्यादातर विधायक हुड्डा समर्थक है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा के करीबी को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देना तय किया है।

नेता प्रतिपक्ष की रेस में सबसे आगे बेरी से 7 बार के विधायक रघुबीर कादियान का नाम सबसे आगे चल रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि रघुबीर कादियान का नेता प्रतिपक्ष चुना जाना तय है। हाईकमान कभी भी इसकी घोषणा कर सकता है। हालांकि, इस दौड़ में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के अलावा गैर जाट चेहरे में थानेसर से विधायक अशोक अरोड़ा और पंचकूला से विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम भी चर्चा में है, मगर हुड्डा को हाईकमान को अगर चुनना होता तो इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता।

अशोक अरोड़ा और चद्रमोहन की दावेदारी पड़ी कमजोर

नेता प्रतिपक्ष के लिए पहले केवल 2 नामों पर ही विचार चल रहा था। इसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। अशोक अरोड़ा को रेस में सबसे आगे बताया जा रहा था। मगर कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाईकमान उनके नाम पर सहमत नहीं है। सबसे बड़ा कारण है कि वह लंबे समय से चौटाला परिवार से जुड़े रहे हैं। वह 2019 में ही इनेलो छोड़कर कांग्रेस में आए थे, जब इनेलो में पूरी तरह बिखराव हो चुका था। वह कांग्रेस में आने के बाद पहली बार विधायक बने हैं।

जाट समाज कांग्रेस से बना सकता है दूरी

चंद्रमोहन बिश्नोई के नाम पर भी चर्चा हुई। हाईकमान को पक्ष और विपक्ष (नेगेटिव) दोनों कारण बताए गए। चंद्रमोहन के नेगेटिव पॉइंट ज्यादा हैं। वह पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे हैं। वहीं चंद्रमोहन के छोटे सगे भाई कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं और बिश्नोई समाज के नेता भी हैं। हरियाणा में बिश्नोई समाज की भागीदारी अधिक नहीं है और कुछ सीटों पर ही उनका प्रभाव है। चंद्रमोहन को आगे करने से जाट समाज कांग्रेस से दूरी बना सकता है।