Panchkula News हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र इस बार विपक्ष के नेता के बिना ही शुरू हुआ, क्योंकि कांग्रेस अभी तक अपने विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विपक्ष के नेता की भूमिका निभाई और सदन में विपक्ष की आवाज बने रहे।
कांग्रेस का नेता चयन में देरी को सामान्य बताया
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधायक दल के नेता के चयन में हो रही देरी को सामान्य बताया। उन्होंने कर्नाटक का उदाहरण दिया, जहां विधानसभा की कार्यवाही विपक्ष के नेता के बिना भी जारी रही। कांग्रेस ने इस मामले में हाईकमान को निर्णय लेने का अधिकार सौंपा है, जिसके कारण इस प्रक्रिया में देरी हो रही है।
विधानसभा की बैठकों के लिए न्यूनतम समय सीमा तय
सत्र के पहले दिन, विधानसभा की बैठकों के लिए न्यूनतम समय सीमा तय करने पर सहमति बनी। हुड्डा और अशोक अरोड़ा के प्रस्ताव पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे से शुरू करने का निर्णय लिया गया। नया स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया।
अरोड़ा ने सदन का समय बढ़ाने की मांग की
थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा ने सदन का समय बढ़ाने की बात की। उनका तर्क था कि पहली बार चुने गए 40 विधायकों को सदन में अपनी बात रखने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि हिमाचल प्रदेश की तरह हरियाणा में भी अनिवार्य 40 बैठकें होनी चाहिए।
स्पीकर का सुझाव: सकारात्मक चर्चा हो
स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने सदन का समय बढ़ाने पर सुझाव दिया कि विपक्ष को जनहित से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा करनी चाहिए, जिससे विधायी कार्यों की उत्पादकता में वृद्धि हो सके। उन्होंने पंजाब के अनुभव को भी साझा किया, जिसमें औसतन 16-18 बैठकें होती हैं, लेकिन 2014 में 84 बैठकें आयोजित की गईं।