गुरुग्राम में भी क्राइम पेट्रोल सीरियल जैसी साजिशन हत्याओं का मामला सामने आया है। कमेटी में डाले गए लाखों रुपये हड़पने के लिए महिला समेत एक के बाद एक तीन लोगों की हत्याएं कर दी गईं। इनकी मौतों को सड़क हादसा, आत्महत्या और गुमशुदगी जैसा दिखाया गया। ये हत्याएं 2020, 2021 और 2024 में हुईं। इन सारी हत्याओं के पीछे एक ही गिरोह था।

दो और हत्याओं के राज उगले
इस मामले में गिरफ्तार आरोपी सत्यप्रिय से रिमांड के दौरान पूछताछ में इन सारी हत्याओं की जानकारी मिली। गुरुवार को उसे जेल भेज दिया गया। नवंबर 2024 में जब आखिरी हत्या के मामले में इस गिरोह की मास्टरमाइंड महिला सुषमा को गिरफ्तार किया गया तो उसने दो और हत्याओं के राज उगले। इससे पुलिस के पैरों तले जमीन खिसक गई, क्योंकि उनकी जांच रिकॉर्ड में ये दोनों घटनाएं गुमशुदगी और सड़क दुर्घटना के रूप में दर्ज थीं।वहीं, पांच साल पहले हुईं इन हत्याओं की पुलिस ने दोबारा फाइल खोली। जांच करते वक्त यह पाया कि इन हत्याओं को इतनी सफाई से अंजाम दिया गया कि महीनों की जांच के बाद भी पुलिस के सामने कुछ नहीं आ पाया और अंतत: उस समय दोनों मामलों की फाइल बंद करनी पड़ी थी।
कुल चार आरोपी गिरफ्तार किए गए
सुषमा के बयान के बाद नवंबर में ही कुल चार आरोपी गिरफ्तार किए गए और आखिरी व पांचवां आरोपी अब जाकर सात अप्रैल को देहरादून से गिरफ्तार किया जा सका। दो हत्याओं की तरह पुलिस को इन हत्याओं में शामिल इस आरोपी की भनक तक नहीं थी। पुलिस को इस हत्यारे की जानकारी नवंबर में ही मिल पाई।इसके बाद काफी मशक्कत कर इसे पकड़ा जा सका। आखिरी आरोपी सत्यप्रिय से रिमांड के दौरान पूछताछ में इन सारी हत्याओं की सिलसिलेवार जानकारी मिली। गुरुवार को उसे जेल भेज दिया गया।
जानिए-कब-कब और कैसे हुईं हत्याएं
पहली हत्या लक्ष्मी देवी का मुरादाबाद में रामगंगा के नाले में गला घोंटकर फेंका गया शव
6 जनवरी 2020 में सेक्टर 21 के डूंडाहेड़ा की 48 वर्षीय लक्ष्मी देवी घर से लापता हो गईं। बेटे ने उद्योग विहार थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया। लक्ष्मी देवी घर से मोबाइल लेकर निकली थीं। पुलिस ने लोकेशन के आधार पर कई महीनों तक जांच की, नहीं मिलने पर फाइल बंद कर दी गई। पता चला कि लक्ष्मी देवी अपने रुपये वापस मांग रही थी। सुषमा ने उन्हें सेक्टर 21 की मार्केट बुलाया। यहां पेय पदार्थ में नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश किर दिया।इसके बाद सुषमा ने लक्ष्मी देवी को ठिकाने लगाने के लिए सत्यप्रिय को काम सौंपा। पूछताछ में पता चला कि सत्यप्रिय पिकअप गाड़ी से लक्ष्मी देवी को मुरादाबाद ले गया। यहां गाड़ी में गला दबाकर हत्या करने के बाद रामगंगा के नाले में शव को फेंक दिया। अभी तक लक्ष्मी देवी का शव बरामद नहीं हो सका है।
13 जनवरी 2021 को कापरेटिव विभाग में सब इंस्पेक्टर के रूप में तैनात सतबीर सिंह मलिक का शव मानेसर में पॉलिटेक्निक कालेज के पास सर्विस रोड पर बरामद किया गया था। प्रथमदृष्टया पुलिस को यह मामला सड़क हादसे का लगा था। पोस्टमार्टम के बाद परिवार के दबाव पर संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। किंतु कई महीनों बाद भी जब कोई सुराग नहीं लगा तो फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई।आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि सतबीर मलिक अपने रुपये वापस मांग रहे थे। सुषमा ने उन्हें पैसे देने के बहाने सेक्टर 71 में बुलाया। यहां उन्हें काफी शराब पिलाई गई। बेहोशी की हालत में सतबीर को सर्विस रोड पर डालकर उनके ऊपर से पिकअप चढ़ाकर हत्या कर दी गई।
तीसरी हत्या राजेंद्र कुमार को चाय में नशे की दवाएं मिलाईं और गला दबाकर हत्या
22 नवंबर 2024 को शिकोहपुर के पीजी संचालक राजेंद्र कुमार लापता हो गए थे। परिवार ने गुमशुदगी दर्ज कराई। जांच के दौरान 23 नवंबर को मानेसर क्राइम ब्रांच ने काल डिटेल के आधार पर इस मामले मास्टरमाइंड सुषमा को पकड़ा। पूछताछ के दौरान उसने हत्या का राज उगला।बताया कि राजेंद्र उनसे पैसे मांग रहे थे। बहाने से उन्हें मानेसर स्थित घर बुलाया गया। यहां चाय में नशे की दवाएं मिलाकर बेहोश किया और गला दबाकर हत्या कर दी गई। इसके बाद इसके कहने पर इसके साथी राजेंद्र के शव को कार में डालकर रेवाड़ी ले गए। शव को रेवाड़ी-नारनौल हाईवे के पास फेंककर वापस आ गए। इस हत्या को भी आत्महत्या या कोई अन्य रूप देने के लिए राजेंद्र की कार को लावारिस हालत में छोड़ा गया। उनके मुंह में सल्फास की गोलियां डाली गईं। मानेसर पुलिस ने रेवाड़ी पुलिस की सहायत से शव को बरामद किया था।
जिसने भी रुपये मांगे, उसी की हत्या की साजिश रची
पूछताछ में पता चला कि लक्ष्मी देवी ने सुषमा को 18 से 20 लाख, सतबीर सिंह मलिक ने 22 लाख और राजेंद्र ने करीब 20 लाख रुपये सुषमा को कमेटी में डालने के लिए दिए थे। सुषमा ने जब कई महीनों बाद भी कोई रुपये नहीं लौटाए तो ये लोग अपने-अपने रुपये मांगने लगे। बताया गया कि जिसने जब अपने रुपये वापस मांगे तो उसकी हत्या की साजिश रची गई।
केस रीओपन, फरवरी और मार्च में चार्जशीट दाखिल
नवंबर में गिरोह की मास्टरमाइंड आइएमटी मानेसर सेक्टर एक की सुषमा के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने उससे पूछताछ के आधार पर उसके साथी चरखी दादरी के अनिल, डूंडाहेड़ा की सीमा और गुरुग्राम के प्रताप नगर के सतीश को पकड़ा था। पूछताछ में दो अन्य हत्याओं की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने केस री-ओपन किए। जांच के बाद तीनों मामलों में कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई। लक्ष्मी देवी की हत्या के मामले में 24 फरवरी, सतबीर व राजेंद्र की हत्या के मामले में मार्च में चार्जशीट दाखिल की गई।
वहीं, पांचवें आरोपी के बारे में भी जानकारी मिलने पर पुलिस ने 20 हजार रुपये का इनाम घोषित किया। मानेसर क्राइम ब्रांच की टीम ने इस आरोपी की तलाश में देहरादून में सघन तलाशी अभियान चलाया। सात अप्रैल को इसे भी पकड़कर गुरुग्राम लाया गया। उसकी पहचान देहरादून के बनवाला के सत्यप्रिय सैनी के रूप में की गई थी। कोरोना काल से पहले यह डेयरी का काम करता था। कोरोना काल के बाद यह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने लगा था।