फरीदाबाद। दिव्यांग प्रणव ऐसे ही सूरमा नहीं बने हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी प्रतिभा के कायल हैं। महज 16 साल की उम्र में प्रणव की रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी जिससे उसके हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन उसने हौसला बढ़ाया और बी.कॉम ऑनर्स में स्नातक किया। इसके बाद देश को कई बड़ी उपलब्धि दिलाई।

औद्योगिक नगरी के दिव्यांग प्रणव ने अपने लिए जो सपने बुने थे, जो लक्ष्य तय किए थे, उसे पेरिस में बुधवार की रात पैरालिंपिक गेम्स-2024 में पूरा कर दिखाया। प्रणव सूरमा ने अपनी एफ-51 श्रेणी में क्लब थ्रो स्पर्धा में रजत पदक जीत कर खेल जीवन के अपने सबसे बड़े सपनों में से एक को पूरा कर दिखाया।
प्रणव उस सूरमा का नाम है, जिसका लक्ष्य पढ़-लिखकर चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना था, पर 2011 में प्रणव जब 16 साल के थे, तब एक परिचित के घर का छज्जा उन गिर गया। इस घटना में प्रणव की रीढ़ की हड्डी पर चोट पहुंची और हाथ-पैर दोनों ने काम करना बंद कर दिया था। फिर माता-पिता दीपिका-संजीव सूरमा, दादा केवल कृष्ण, बहन भावनी व मित्रों की दुआओं ने असर दिखाया।