हिसार शहर से 15 किलोमीटर दूर दिल्ली हाईवे पर बसे गांव मय्यड़ में खुलेआम नशे का कारोबार चल रहा है। नशा बेचने वाले परिवारों की महिलाएं भी इस कारोबार को बढ़ाने में सहयोग करती हैं। वे नशे को गोबर के उपलों और झाड़ियों में छुपा कर रखती हैं। गांव के 25 फीसदी युवाओं की नसों में नशा घुला है। पुलिस की ओर से गांव में नशा मुक्त अभियान भी चलाया लेकिन इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। नशा तस्करों ने पुलिस वालों और नशा खरीदने वालों के लिए अलग-अलग कोड बना रखे हैं।
गांव का 25 प्रतिशत युवा नशे के कारण अंदर से खोखला हो चुका है। धागा मिल से लेकर खरड़ मोड तक सरेआम घरों और दुकानों पर नशा बेचा जा रहा है।
- गांव की रहने वाली समाजसेवी महिला ने बताया कि नशे के कारण गांव का बुरा हाल है।नशा बेचने वाले परिवारों की महिलाएं और युवतियां तक नशा बेचती हैं।
- पहले शराब का नशा था, लेकिन अब चिट्टा और स्मैक का नशा बढ़ रहा है। जब विरोध करते हैं तो झगड़ा करने लगते हैं। लड़ाई-झगड़ा होने के डर के कारण नशा बेचने वालों के खिलाफ कोई नहीं बोलता, लेकिन किसी को तो आवाज उठानी पड़ेगी।
नशा बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए एक्शन प्लान बनाया है। एडीजीपी ने टीम का गठन किया हुआ है। टीम से फीडबैक ले रहे हैं कि गांव में अभियान चलाने के बाद नशा तस्कारों पर अंकुश क्यों नहीं लग रहा। पीरांवाली, आंबेडकर बस्ती, मय्यड़, सदलपुर समेत अन्य गांवों में नशे के कारोबार को पनपने नहीं देंगे। – मोहित हांडा, पुलिस अधीक्षक, हिसार