HARYANA VRITANT

चरखी दादरी। शहर के साथ सटे गांव समसपुर के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं की कमी का दंश झेल रहे हैं। व्यवस्थाओं का आलम ये है कि गांव में जलघर होने के बाद भी घरों में खारे पानी की आपूर्ति हो रही है और ग्रामीण हर माह करीब तीन लाख रुपये का पानी खरीदकर पीने के लिए विवश हैं। गांव में अन्य सुविधाओं की भी कमी बनी है जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतान पड़ रहा है।

समसपुर गांव जिले के बड़े गांवों की सूची में शामिल है। गांव की आबादी करीब 12,000 है। संवाददाता ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों से बातचीत कर गांव की समस्याएं जानने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो दशक से वह पेयजल संकट झेल रहे हैं। इसके लिए डेढ़ साल पहले उन्होंने तत्कालीन उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का काफिला भी रोक दिया था। तब उन्होंने दस दिन के अंदर समस्या का समाधान करवाने का आश्वासन दिया जो अधूरा रहा।

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पशुओं के लिए बने तीन तालाबों की सफाई न होने से दुर्गंध आ रही है। गांव से खेतों की ओर जाने वाले रास्ते कच्चे होने के कारण बारिश के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गांव के पशु अस्पताल का भवन जर्जर हो चुका है। गांव में बनाए जा रहे नये पंचायत घर का निर्माण अधर में लटका है। डिस्पेंसरी का भवन जर्जर होने के कारण स्टाफ को दूसरी जगह बैठना पड़ रहा है।

स्कूल के उच्चीकरण की उठाई मांग…

ग्रामीणों ने गांव में बने 10वीं तक का उच्चीकरण कर 12वीं तक करने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि पांच साल पहले तक ये स्कूल बारहवीं कक्षा तक था, लेकिन शिक्षा विभाग ने इसे दसवीं तक कर दिया। गांव समसपुर से रावलधी, भागवी, ढाणी फौगाट, महराणा आदि की सीमा से लगते खेतों के रास्ते कच्चे हैं। इस कारण बारिश के दिनों में किसानों को खेत तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने जिला प्रशासन से कच्चे रास्तों को पक्का करवाने की मांग की है।

ग्रामीण बोले : सुविधाओं की कमी से हर रोज झेल रहे परेशानी…

गांव में 10,000 से अधिक पशु हैं लेकिन गांव के तालाब की हालत खराब होने से पशुओं को पिलाने का पानी भी नहीं है। तालाबों में गंदगी होने के कारण दूर तक दुर्गंध फैली रहती है। प्रशासन ने तालाबों की सफाई नहीं कराई। पेयजल संकट गांव की सबसे बड़ी समस्या है। गांव में जलघर होने के बावजूद स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा। बताने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। ग्रामीण पानी खरीदकर प्यास बुझाने के लिए मजबूर हैं।

गांव में पेयजल आपूर्ति होने के कारण ग्रामीण प्रति माह हजारों रुपये खर्च कर पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। समसपुर जिले के बड़े गांवों में शामिल है। इसके बावजूद विभाग, जनप्रतिनिधि समस्याओं को नहीं सुलझा रहे हैं। जिला स्तरीय खेल स्टेडियम बनाने के लिए करीब 20 एकड़ जमीन दी गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा के सात साल बाद भी स्टेडियम का कार्य पूरा नहीं हो पाया। स्टेडियम निर्माण का इंतजार भी काफी लंबा हो गया है।