CET Exam हरियाणा में बीते दो दिन एक अनोखे “त्यौहार” जैसे रहे। न कोई मेला लगा, न कोई पूजा हुई और न ही कहीं उत्सव का माहौल दिखा। इस बार त्योहार की जगह एक परीक्षा ने ली, एक ऐसी परीक्षा जिसमें न सिर्फ लाखों युवाओं की उम्मीदें जुड़ी थीं, बल्कि सरकार की साख और उसकी नीतियों की असली परख भी थी।

करीब 13 लाख 48 हजार अभ्यर्थियों के लिए 1338 परीक्षा केंद्रों की व्यवस्थित और समर्पित तैयारी की गई। यह आयोजन सिर्फ एक परीक्षा नहीं बल्कि भरोसे, प्रशासनिक क्षमता और पारदर्शिता का एक नया उदाहरण बनकर सामने आया।
2022 के बाद पहला बड़ा अवसर | CET Exam
2022 के बाद पहली बार हरियाणा में CET यानी कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन हुआ। सरकार के लिए यह सिर्फ एक परीक्षा नहीं बल्कि “बिना पर्ची, बिना खर्ची” के वादे को सच साबित करने का एक निर्णायक मौका था। यह नारा लंबे समय से सरकारी भर्तियों में ईमानदारी लाने का प्रतीक रहा है और अब जनता के सामने इसकी सच्चाई को सिद्ध करने का समय आ चुका था।
सरकार के लिए परीक्षा से भी बड़ा इम्तिहान
यह CET परीक्षा जितनी उम्मीदवारों के लिए जरूरी थी, उससे कहीं ज्यादा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनकी टीम के लिए एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती थी। अगर परीक्षा सुचारू रूप से पूरी हो जाती है और परिणाम भी समय पर, पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से आता है तो यह सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। हालांकि अगर कहीं भी कोई गड़बड़ी सामने आई, तो विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने से नहीं चूकेगा।
मजबूत प्रशासनिक तैयारी
परीक्षा के आयोजन को लेकर सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उम्मीदवारों के लिए निशुल्क बस सेवा चलाई गई, परीक्षा केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई और नकल रोकने के लिए हर स्तर पर निगरानी रखी गई। सरकार और प्रशासन की सजगता के चलते परीक्षा शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई जो अपने आप में एक बड़ी सफलता है।
अब असली चुनौती: परिणाम की पारदर्शिता
हालांकि परीक्षा हो चुकी है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अब शुरू होती है। यह चुनौती है परिणाम में पारदर्शिता बनाए रखने की। अगर परिणाम पूरी ईमानदारी से घोषित होते हैं, तो यह “बिना पर्ची, बिना खर्ची” की नीति की सच्ची विजय होगी। लेकिन अगर जरा भी गड़बड़ी सामने आई, तो सरकार की साख पर गहरा सवाल खड़ा हो जाएगा।
विपक्ष लगातार सरकार की नीतियों पर नजर गड़ाए बैठा है। ऐसे में जब तक परिणाम घोषित नहीं हो जाते और युवाओं को उनकी मेहनत का न्याय नहीं मिल जाता, तब तक सतर्कता बनाए रखना अनिवार्य है।
“बिना पर्ची, बिना खर्ची” नीति: संजीवनी भी, कसौटी भी
आज हरियाणा सरकार की यही नीति युवाओं के लिए एक उम्मीद बन चुकी है। यही कारण है कि यह नीति भाजपा के लिए जहां एक संजीवनी है, वहीं विपक्ष के लिए सबसे कठिन चुनौती। अगर सरकार इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करती है, तो यह उसकी लोकप्रियता में चार चांद लगा सकती है। लेकिन कोई भी गलती उसे नुकसान भी पहुंचा सकती है।
CET परीक्षा आज हरियाणा में सिर्फ एक भर्ती प्रक्रिया नहीं बल्कि एक मूल्यांकन बन गई है। यह मूल्यांकन है सरकार की नीयत, नीति और प्रशासनिक क्षमता का। अब यह समय बताएगा कि “बिना पर्ची, बिना खर्ची” का वादा वाकई एक क्रांतिकारी बदलाव है या फिर केवल एक चुनावी नारा।
जब तक परिणाम नहीं आ जाते और योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति और युवाओं की उम्मीदों का केंद्र बना रहेगा।