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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पड़ने वाले हरियाणा के 14 जिलों में 27 लाख 50 हजार वाहन ऐसे हैं, जो अपनी चलन की अवधि पूरी कर चुके हैं। गुरुग्राम, फरीदाबाद व सोनीपत में करीब 70 प्रतिशत वाहन चलन से बाहर हो चुके हैं। एनसीआर में पड़ने वाले हरियाणा के बाकी 11 जिलों में 30 प्रतिशत वाहन ऐसे हैं, जो बूढ़े हो गए, लेकिन वाहन मालिक फिर भी उनका संचालन कर रहे हैं।

ऐसे वाहनों को न केवल एनसीआर के विभिन्न जिलों में संचालित किया जा रहा है, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक भी घुमाया जा रहा है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की नजर में यह वाहन एनसीआर में वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहे हैं। एक नवंबर से इन वाहनों को ईंधन नहीं दिए जाने के आदेश वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने राज्य सरकार को दिए हैं।

एनसीआर का दायरा घटाने का अनुरोध

हरियाणा के 22 जिलों में से 14 जिले एनसीआर में शामिल हैं। एनसीआर का दायरा घटाने के लिए हरियाणा सरकार कई बार केंद्र सरकार के समक्ष मुद्दा उठा चुकी है, लेकिन अभी तक राज्य के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया है।

हरियाणा के 14 जिलों को एनसीआर में होने का फायदा कम और नुकसान अधिक हुआ है। एनसीआर के लिए जब भी कोई आदेश लागू होते हैं तो उससे हरियाणा के उन जिलों के लोगों पर भी असर पड़ता है, जो वास्तव में एनसीआर की परिधि से काफी दूर होते हैं।हरियाणा सरकार का मानना है कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, रेवाड़ी, पलवल, झज्जर और नूंह तक एनसीआर के दायरे में शामिल किए जाने ठीक हैं, लेकिन पानीपत, करनाल, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी और महेंद्रगढ़-नारनौल जिलों को एनसीआर में शामिल होने का अधिक नुकसान है।

हरियाणा का NCR में आने वाला क्षेत्र 25 हजार KM

हरियाणा सरकार ने जुलाई 2022 में करनाल, जींद, महेंद्रगढ़-नारनौल, चरखी दादरी, भिवानी तथा रोहतक जिले की महम व पानीपत जिले की मतलौडा व पानीपत तहसीलों को एनसीआर के दायरे से बाहर करने संबंधी प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज रखा है।अगर इस प्रस्ताव को एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की मंजूरी मिलती है तो हरियाणा में एनसीआर का दायरा 1148 वर्ग किलोमीटर कम हो जाएगा। अभी तक हरियाणा का एनसीआर में आने वाला क्षेत्र 25 हजार 327 वर्ग किलोमीटर है।जिन जिलों को हरियाणा सरकार एनसीआर के दायरे से बाहर निकालने की मांग कर रही है, उन्हें साल 2018 में एनसीआर में शामिल किया गया था, लेकिन एनसीआर की पाबंदियों व सख्त नियमों ने सरकार को एनसीआर के जिलों की संख्या घटाने के लिए केंद्र से आग्रह करने के लिए मजबूर कर दिया है।

कितने साल तक चला सकते हैं गाड़ी

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, एनसीआर प्लानिंग बोर्ड, दिल्ली सरकार और केंद्रीय वायु गुणवत्ता आयोग के जितने भी फैसले एनसीआर के लिए जारी होते हैं, उनके अनुपालन की चपेट में हरियाणा के वह जिले भी आ जाते हैं, जिनका इन फैसलों से सीधा संबंध नहीं होता।केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने हाल ही में एक आदेश जारी कर दिल्ली एनसीआर में डीजल वाली गाड़ियों के लिए 10 साल और पेट्रोल वाली गाड़ियों के लिए 15 साल का समय तय किया है। इस उम्र से अधिक वाले वाहनों का प्रचलन बंद किया जा चुका है, ताकि प्रदूषण से राहत मिल सके।

दिल्ली की अपेक्षा उत्तर प्रदेश के प्रदूषण फैलाने वाले वाहन कम

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुल 61 लाख 14 हजार 728 लाख गाड़ियां अपनी उम्र पूरा कर चुकी हैं, जबकि हरियाणा में 27 लाख 50 हजार 152 गाड़ियां समय अवधि पार कर चुकी हैं। उत्तर प्रदेश के एनसीआर में आने वाले जिलों में ऐसे आउट डिटेल वाहनों की संख्या 12 लाख 69 हजार 598 है।केंद्रीय वायु गुणवत्त प्रबंधन आयोग ने कहा कि ऐसी गाड़ियों को ईंधन नहीं दिया जाए। दिल्ली में पेट्रोल पंपों पर एएनपीआर कैमरे लगाने को निर्देशित किया गया है। ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरे वाहन की नंबर प्लेटों को स्वचालित रूप से पहचानते और पढ़ते हैं।गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत जिलों में पेट्रोल पंपों पर अक्टूबर 2025 तक कैमरे लगाने के लिए कहा गया है। ऐसे में इन जिलों में एक नवंबर से गाड़ियों को ईंधन नहीं दिया जाएगा। मुख्य सचिव को इन आदेशों की अनुपालना के लिए निर्देशित किया गया है।