HARYANA VRITANT

अंबाला। केयर कैंपेनियन प्रोग्राम के तहत मंगलवार को नूरा फाउंडेशन की टीम ने छावनी नागरिक अस्पताल का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस टीम में बंग्लुुुरु से डॉ. बैशनबी मोंगर, डिस्ट्रिक्ट सर्विसेज और सिस्टम लीड अनंथ कृपेश श्रीनिवासन और पंचकूला डीजीएचएस से डॉ. अभिषेक जैन शामिल रहे।

नूरा फाउंडेशन की टीम ने छावनी नागरिक अस्पताल का दौरा

सुबह नौ बजे ही टीम ने अस्पताल में दस्तक दे दी थी। करीब तीन घंटे तक अस्पताल में महिला ओपीडी से लेकर प्रसूति विभाग और निक्कू वार्ड का भी जायजा लिया। इस दौरान टीम ने नर्सिंग ऑफिसर सहित अन्य स्टाफ से केयर कैंपेनियन प्रोग्राम से जुड़े कई सवाल किए और उनके संतोष जनक जवाब पाए। हालांकि इसी प्रोग्राम से जुड़ी कुछ जानकारियों स्टाफ को दी, जिससे कि वह अस्पताल में आने वाले गर्भवती महिला और डिलिवरी के बाद जच्चा-बच्चा को पूरी तरह से जागरूक कर सके। इसके अलावा टीम ने अस्पताल में दाखिल मरीजों से भी बातचीत कर उन्हें मिलने वाली सुविधाओं और नर्सिंग ऑफिसर की ओर से पढ़ाए जा रहे देखभाल के पाठ को सुना।

साथ ही टोल फ्री नंबर 18001210095 के बारे में भी बताया कि उन्हें गर्भवती होने के समय से लेकर डिलिवरी होने के बाद तक हर प्रकार की सुविधा के बारे में जानकारी ले सकती है। ओपीडी व वार्ड में मरीजों को टीम ने पम्फलेट भी बांटे। इस टीम के साथ सीनियर मेडिकल ऑफिसर व महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना बंसल, मेडिकल ऑफिसर डॉ. हरमनप्रीत सिंह, मेडिकल ऑफिसर डॉ. चित्रा शर्मा भी शामिल रही और टीम को हर जानकारी दी। बताया जाता है कि पिछली बार छावनी नागरिक अस्पताल की 14 रैंकिंग थी और उसमें सुधार कर रहे हैं। दौरा करने आई टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट मुख्यालय में देगी।

अस्पताल में मिली सुविधाओं के बारे में पूछा…

अस्पताल में दौरा करने के बाद टीम ने अस्पताल में से दो उन महिलाओं के नंबर मांगे जो डिलिवरी करवाने के बाद अपने घर चली गई। फिर उनके घरों में ही जाकर फीडबैक यानी जानकारी जुटाई। पूछा कि उन्हें क्या-क्या उपचार दिया गया और उन्हें किस तरह से स्टाफ ने जागरूक किया कि नवजात और खुद को ख्याल रखना है। साथ ही घर में उनके परिजनों से भी बातचीत की। दरअसल, देखा जाता था कि अस्पताल में केवल डिलिवरी करवाने के बाद महिलाओं को यह नहीं पता होता था कि आखिर उन्हें किस तरह से नवजात व खुद का ख्याल रखना है। अस्पताल स्टाफ की केवल दाखिल होने के दौरान तक ही नहीं बल्कि बाद में भी महिला मरीज को स्वच्छ रखना जिम्मेदारी है।