अंबाला की एक महिला अपने पति और ससुराल वालों से परेशान होकर अपने बच्चे के साथ मायके आ गई थी। इसके बाद, उसका पति बच्चे को अवैध तरीके से ले गया, और मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया।
हाईकोर्ट ने महिला की कस्टडी याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पिता का प्यार मां के प्यार से अधिक नहीं हो सकता। कोर्ट ने आदेश दिया कि बच्चे की कस्टडी उसकी मां को दी जाए।
महिला ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की, जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसके पति ने अवैध रूप से उनके ढाई वर्षीय बेटे को हिरासत में रखा है। महिला ने कहा कि वह और उसका बेटा मई में ससुराल से चले गए थे, और 26 जून को उनका बेटा लापता हो गया। सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि पति ने बच्चे को अवैध रूप से ले लिया था। पति के खिलाफ अपहरण की एफआईआर भी दर्ज की गई थी।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपने के लिए किसी अदालत द्वारा कोई आदेश नहीं था, इसलिए इस उम्र में बच्चे की कस्टडी कानूनी रूप से पिता के पास नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि मां का प्यार त्याग और समर्पण की परिभाषा है, और इतनी छोटी उम्र में मां के प्यार का कोई विकल्प नहीं हो सकता। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि बच्चे की कस्टडी पिता से मां को तुरंत सौंप दी जाए, और इसके लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या जिला एवं सत्र न्यायाधीश की उपस्थिति में इसे सुनिश्चित किया जाए।