बारिश न होने से धान की फसल में बीमारी लगने की संभावना बढ़ गई है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ने के आसार रहेंगे। बारिश होने से धान की फसल की बेहतर सिंचाई होती हैं, जिससे बीमारी लगने की संभावना कम हो जाती हैं और धान का उत्पादन भी बढ़ता है।
मानसून की बेरुखी के चलते किसानों के चेहरों पर अब मायूसी देखने को मिल रही है। इस बार उम्मीद अनुसार बारिश न होना जहां किसानों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है तो वहीं उमस भरी गर्मी का सामना कर रहे लोग भी बारिश न होने से परेशान है। धान की फसल में पानी की खपत ज्यादा होना किसानों के लिए समस्या बना हुआ है। मौसम की बेरुखी के चलते किसानों को धान की फसल की सिंचाई के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
मंगलवार को भी मौसम की बेरुखी नजर आई, दिनभर मौसम में बदलाव का सिलसिला जारी रहा। कभी आसमान में बादल छा गए तो कभी धूप खिली उठी, जिससे उमस भरी गर्मी का आभास भी हुआ। मंगलवार को अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री व न्यूनतम 27.2 डिग्री रहा। बुधवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री व न्यूनतम 27 डिग्री रहने की संभावना है।
किसान जसमेर सिंह का कहना है कि बारिश न होने से धान की फसल में बीमारी लगने की संभावना बढ़ गई है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ने के आसार रहेंगे। बारिश होने से धान की फसल की बेहतर सिंचाई होती हैं, जिससे बीमारी लगने की संभावना कम हो जाती हैं और धान का उत्पादन भी बढ़ता है। ट्यूबवेल से धान की सिंचाई करने पर खेत में एक ही दिन पानी खड़ा होता है, अगले दिन फिर से खेत सूखने लग जाता है।
अगले दो तीन दिनों में बारिश होने की संभावना रहेगी, डॉ. सीबी सिंह
कृषि विशेषज्ञ डॉ. सीबी सिंह का कहना है कि मानसून को आए हुए 23 दिन बीत चुके हैं। पिछले साल के मुकाबले उम्मीद अनुसार बारिश न होने से किसानों को धान की फसल की चिंता हो रही हैं। बारिश होने से धान की फसल को फायदा मिलता है, जिससे धान की पैदावार ज्यादा होती हैं। हालांकि मानसून पिछले एक दो दिन से फिर सक्रिय हुआ है, जिससे अगले दो तीन दिनों में बारिश होने की संभावना रहेगी, जिससे धान की फसल को फायदा मिलने के आसार भी रहेंगे।