बैठक में शंभू सीमा खोलने और दिल्ली कूच को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, बल्कि हरियाणा के किसानों की मांगों पर ही मुख्य रूप से मंथन किया गया। एक-एक मांग पर किसानों और अधिकारियों ने अपने-अपने तर्क रखे। बैठक में लंबित बिजली कनेक्शन, कर्ज माफी, एमएसपी समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
किसान आंदोलन और दिल्ली कूच की सुगबुगाहट के बीच हरियाणा सरकार और हरियाणा के संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बीच कुछ मांगों पर सहमति बन गई है। कई अन्य मांगों में सुधार को लेकर आश्वासन दिया गया है। अब किसानों ने मांगें पूरी करने के लिए 15 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर इस अवधि में मांगें पूरी नहीं होती हैं तो किसान अगली रणनीति बनाएंगे। किसानों की मांगों पर अंतिम फैसला सीएम नायब सैनी लेंगे। मुख्यमंत्री किसानों से बैठक भी कर सकते हैं।
एसकेएम ने 14 जुलाई को रोहतक में बैठक की थी और किसानों की मांगों को लेकर आंदोलन का ऐलान किया था। तब सरकार को 20 जुलाई तक बैठक करने का अल्टीमेटम दिया गया था। इसी मामले को लेकर रविवार को बैठक हुई। दोपहर 12 बजे से शुरू हुई बैठक शाम 6 बजे तक चली। खास बात ये है कि रही कि बैठक में शंभू सीमा खोलने और दिल्ली कूच को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, बल्कि हरियाणा के किसानों की मांगों पर ही मुख्य रूप से मंथन किया गया। एक-एक मांग पर किसानों और अधिकारियों ने अपने-अपने तर्क रखे। बैठक में लंबित बिजली कनेक्शन, कर्ज माफी, एमएसपी समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
जल्द मिलेगा मुआवजा
बैठक में सबसे अहम मुद्दा फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिलना रहा। किसान संगठनों ने एक सुर में कहा कि पिछले तीन साल का मुआवजा लंबित है। इनमें रोहतक, झज्जर, हिसार, फतेहाबाद, भिवानी, सिरसा, कैथल और दादरी जिले के हजारों किसान शामिल हैं। इस पर सरकार की ओर से सहमति दी गई और जल्द किसानों को राशि जारी करने का आश्वासन दिया गया।
बीमा कंपनी हों बाहर, बनाया जाए प्राधिकरण
दूसरा प्रमुख मुद्दा बीमा कंपनियों का रहा। किसानों ने इसका विरोध किया और मांग रखी कि सरकार अपना प्राधिकरण बनाए और उसी से फसलों का बीमा कराए, क्योंकि मौजूदा बीमा कंपनियां फायदे के लिए काम कर रही हैं, न कि किसान के लिए। इस समस्या के समाधान का भी हरियाणा सरकार ने आश्वासन दिया है।
मंडी में फसल बिकते ही किसान को मिले भुगतान
किसान संगठनों ने मांग रखी कि जैसे ही किसान की फसल मंडी में बिकती है, उसके 72 घंटे के अंदर उसको राशि मिलनी चाहिए। लेकिन अभी जब तक मंडी से फसल का उठान नहीं होता, तब तक किसान को राशि नहीं दी जाती। इस सिस्टम को बदला जाए और देरी होने पर ब्याज भी दिलाया जाए। इस पर भी सरकार ने सहमति जताई है।
पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया तो करेंगे विरोध
हरियाणा के सभी किसान संगठनों ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों को दिल्ली कूच नहीं करने देने पर पांच पुलिस अधिकारियों को केंद्र से पुरस्कार दिलाने की सिफारिश करने की निंदा की। सभी ने एक सुर में कहा कि अगर ऐसा किया गया तो सभी किसान इसका विरोध करेंगे। क्योंकि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लाठियां-गोलियां चलाई गई थीं, अगर ऐसे लठ मारने वालों को सम्मानित किया जाने लगा तो सरकार खुद हिंसा को बढ़ावा दे रही है, किसान इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ये रहे बैठक में मौजूद
बलबीर सिंह (किसान सभा हरियाणा), रतन मान (भाकियू-टिकैत), जोगेंद्र नैन (भाकियू-नैन), कंवरजीत सिंह (भाकियू-एकता उगराहा), अजय भवन, सुखदेव जम्मू (हरियाणा किसान सभा), विकास सीसर (भारतीय किसान संघर्ष समिति), हरजिंद्र सिंह (राष्ट्रीय किसान मंच), सुखविंद्र औलख (क्रांतिकारी किसान यूनियन), सुरेश कौथ (भारतीय किसान मजदूर यूनियन-कौथ), मांगे राम, रणबीर मलिक (बीकेयू), प्रेम गहलावत (किसान महासभा), जयकर्ण मांडोठी (एआईकेकेएमएस)
किसानों और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के बीच बैठक सकारात्मक माहौल में हुई है। इसमें करीब 32 मांगों पर चर्चा की गई। किसानों ने सरकार को मांगों का ज्ञापन दे दिया है। हम टकराव नहीं, बल्कि बातचीत से मांगों का समाधान चाहते हैं। सरकार को 15 अगस्त तक समय दिया गया है, अगर इस अवधि में मांगें पूरी नहीं की गई तो फिर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।