कई लोग चाय के दीवाने होते हैं. लोग सुबह उठते ही सबसे पहले चाय पीना पसंद करते हैं. उसके बाद, अपने आगे की दिनचर्या शुरू करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे चाय की दुकान चलाने वाले शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने स्टेनोग्राफी तो सीखी मगर उसको कार्य नहीं मिला. उसके बाद, उसने चाय बेचना आरंभ किया.
नौकरी न मिलने पर कन्हैया लाल ने 1984 में फ़रीदाबाद के मुख्य बाज़ार में चाय की दुकान खोली.
- इस दुकान को चलाते हुए उन्हें 39 साल हो गए हैं. उसकी दुकान पर चाय पीने वालों की भीड़ लगी रहती है. उनकी दुकान पर हर दिन 700 से 800 कप चाय बिक जाती है, जिसके माध्यम से वे अपने परिवार का भरण- पोषण कर रहे हैं. उस समय एक कप चाय की कीमत 60 पैसे थी जो अब आपको कन्हैया की दुकान पर 10 रुपये में मिलेगी.
आज वह हर दिन 700 से 800 कप चाय बेचते हैं.
- कन्हैया ने बताया कि लोग उनकी चाय को काफी पसंद करते हैं. वे चाय में अच्छे दूध का उपयोग करते हैं. वे अधिक मसाले मिलाते हैं और जो लोग उनकी चाय पीते हैं उन्होंने कभी उनकी चाय के बारे में शिकायत नहीं की है.
- चाय का स्वाद इस तरह बनाया जाता है कि एक बार चाय पीने के बाद लोग बार- बार उसे पीना पसंद करते हैं. वह अपने ग्राहकों का खास ध्यान रखते हैं.