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हरियाणा पंजाब के बीच पानी को लेकर गरमाई थी राजनीति। अब समन्वय की ओर बढ़ रहा मामला
जानिए हरियाणा पंजाब जल विवाद में इम्पैक्ट प्लेयर अमित शाह ने कैसे निभाई बड़ी भूमिका

नई दिल्ली बैठक: तालमेल की शुरुआत?
हरियाणा और पंजाब के बीच दशकों पुराने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद को लेकर हाल ही में एक अभूतपूर्व दृश्य सामने आया। 9 जुलाई 2025 को दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में पंजाब सीएम भगवंत मान और हरियाणा सीएम नायब सैनी मिलें। यह वही भगवंत मान हैं, जिन्होंने कुछ महीने पहले BBMB (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) के मुद्दे पर सख्त तेवर दिखाया था। उन्होंने हरियाणा को पानी देने से मना कर दिया था और BBMB परिसर में पंजाब पुलिस तैनात की थी।
लेकिन अब वही भगवंत मान SYL मुद्दे पर नायब सैनी के साथ मुस्कुराते हुए तस्वीरों में नजर आ रहे हैं। बैठक के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों के सौहार्दपूर्ण बयान सामने आए ।
भगवंत मान ने कहा,
“हरियाणा हमारा दुश्मन थोड़ी है, हरियाणा तो हमारा भाई है।”
नायब सैनी ने भी नरम रुख अपनाया और 5 अगस्त को अगली बैठक की घोषणा की गई।

विपक्ष का रुख
इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने की। वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मीटिंग को “राजनीतिक ढुलमुल रवैये” की संज्ञा दी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही हरियाणा के पक्ष में फैसला दे चुका है। फिर भी भाजपा सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही।
लेकिन विपक्ष की आलोचना के बीच जो सबसे अहम बात उभरकर सामने आई। वह है — तालमेल का बदलता स्वरूप।
पर्दे के पीछे का खिलाड़ी: अमित शाह
राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के बदले तेवर के पीछे देश के गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति है।
माना जाता है कि भगवंत मान, भले ही आम आदमी पार्टी के नेता हों और अरविंद केजरीवाल के करीबी हों। लेकिन वह अमित शाह की बातों को बहुत महत्व देते हैं। इसके उदाहरण पहले भी देखने को मिले हैं। जैसे अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के दौरान भगवंत मान ने केंद्र की एजेंसियों को पूरा सहयोग दिया था।
इसी तरह किसान आंदोलन के समय भी पंजाब पुलिस ने रातों-रात एक्शन लिया। जो सीधे तौर पर अमित शाह और भगवंत मान के बीच बनी अघोषित समझदारी का परिणाम माना गया।
शाह-सैनी मुलाकात और बदलती रणनीति
जून 2025 में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अमित शाह से मुलाकात की थी। उसके बाद ही SYL विवाद पर पंजाब का रवैया बदला-बदला दिखने लगा। यही कारण है कि जानकार इसे “राजनीतिक रणनीति का कमाल” मानते हैं। जिसमें पर्दे के पीछे से अमित शाह ने अहम भूमिका निभाई है।
सच में हल की ओर बढ़ रहा है विवाद?
जहां एक ओर कांग्रेस इसे राजनीतिक कमजोरी बता रही है। वहीं दूसरी ओर केंद्र के नेतृत्व में दोनों राज्यों के बीच जो संवाद और सहयोग की शुरुआत हुई है, वह स्वागतयोग्य है। अब सभी की निगाहें 5 अगस्त की बैठक पर टिकी हैं। जहां यह तय हो सकता है कि क्या दशकों पुराना यह जल विवाद एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचेगा।