पलवल: आजादी के 75वें अमृत महोत्सव की श्रृंखला में रास कला मंच सफीदों द्वारा रेजांगला की इस शौर्य गाथा का नाटक मंचन के माध्यम से सोमवार को डा. बी. आर. अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में सजीव चित्रण दिखाया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ एडीसी हितेश कुमार ने बतौर मुख्यातिथि रिबन काटकर किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला परिषद पलवल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जितेंद्र कुमार भी मौजूद रहे।
बता दें कि 1962 के भारत चीन युद्ध में रेजांगला पोस्ट पर सेना की 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के चंद सैनिकों ने चीन की सेना को कड़ी टक्कर देते हुए रेजांगला पोस्ट को बचाने में सफलता प्राप्त की। इस संघर्ष में चार्ली कंपनी के 110 वीर जवान सैनिकों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी। आजादी के 75वें अमृत महोत्सव की श्रृंखला में रास कला मंच सफीदों द्वारा रेजांगला की इस शौर्य गाथा का नाटक मंचन के माध्यम से सोमवार को डा. बी. आर. अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में सजीव चित्रण दिखाया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ एडीसी हितेश कुमार ने बतौर मुख्यातिथि रिबन काटकर किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला परिषद पलवल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जितेंद्र कुमार भी मौजूद रहे।
रेजांगला की लड़ाई के आखरी दिन यानी 18 नवंबर 1962 को चंद जवानों द्वारा जिस प्रकार वीरता व साहस का परिचय देते हुए जंग के मैदान में इतिहास रच दिया, वह देशवासियों के लिए गौरव की बात है। इस लड़ाई में 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के जवानों ने मेजर शैतान सिंह की अगुवाई में वीरता का ऐसा इतिहास रचा, जिसे आज भी पूरे भारतवर्ष द्वारा गर्व से याद किया जाता है। इस युद्ध के 110 बलिदानियों में 60 जवान हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र से थे। इस नाटक के माध्यम से जनमानस के मन मे अनजाने ही बसे उस मिथ्या पर कड़ा प्रहार किया गया, जहां हम सोचते हैं की एक सैनिक, चाहे वो जिस भी मुल्क का हो, उसका काम है सिर्फ लडऩा या लडक़र मर जाना।