रोहतक कोर्ट में वकालत के समय हुड्डा को भूप्पी भाई कहा जाता था। 2000 में वे इनेलो के धर्मपाल हुड्डा को हराकर पहली बार विधायक बने। 2004 में सांसद बने, लेकिन कांग्रेस ने भजनलाल की जगह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पिछले पांच चुनावों से गढ़ी सांपला-किलोई हलके से अजय बने हुए हैं। यहीं से जीतकर 10 साल तक हरियाणा के सीएम बनें रहे। इस दौरान हलके के लोगों को न केवल सरकारी नौकरी, बल्कि गांव में पानी, सड़क व नई चौपालों की सौगात मिली। 35 गांवों में तो नए स्टेडियम बनवाए। 2014 व 2019 में हुड्डा विधायक तो बने, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
इसका सीधा असर हलके के विकास कार्यों पर पड़ा। पिछले पांच सालों में हलके के लोग डी पार्क स्थित उनके आवास पर विकास काम कराने कम और नौकरी लगवाने की मांग के लिए ज्यादा पहुंचे। सप्ताह व 15 दिन में एक बार वे हलके का चक्कर जरूर लगाते हैं।
हुड्डा ने बिना भेदभाव के गांवों की पंचायतों को हर साल ग्रांट बांटी है। एक बार पांच करोड़ रुपये आए, तो बाद में दो-दो करोड़ रुपये बांटे। हर साल गांव की चौपाल, गली, पेयजल लाइन व दूसरे कामों की सूची बनाकर अधिकारियों को दी। कई काम ऐसे हैं, जो अधिकारी नहीं करवा पाए।
प्रोफाइल : भूप्पी भाई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनने का सफर
रोहतक कोर्ट में वकालत के समय हुड्डा को भूप्पी भाई कहा जाता था। 2000 में वे इनेलो के धर्मपाल हुड्डा को हराकर पहली बार विधायक बने। 2004 में सांसद बने, लेकिन कांग्रेस ने भजनलाल की जगह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया। ऐसे में किलोई विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा से खाली करवा उनको दूसरी बार विधायक बनाया गया। 2009 में हुड्डा ने रिकाॅर्ड 79 प्रतिशत वोट पए। 2014 में वोट घटकर 57 व 2019 में 66 प्रतिशत रह गए।
शिक्षा : दिल्ली विवि से कानून की पढ़ाई की
पंजाब विवि चंडीगढ़ से बीए व दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। रोहतक कोर्ट में वकील भी रहे हैं। अब भी उनका बार में चैंबर है।
केस : सीबीआई व ईडी कर रही अधिकतर मामलों की जांच
सीएम रहते हुए जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़े केस चलते रहे हैं। इसमें गुरुग्राम-मानेसर आईएमटी भूमि केस, डीएलएफ भूमि केस, पंचकूला का हुडा औद्योगिक भूखंड आवंटन केस प्रमुख हैं। ज्यादातर मामलों की जांच सीबीआई और ईडी कर रही हैं।
विधानसभा में नहीं उठाई आवाज : विपक्ष
पांच साल में हुड्डा ने एक बार भी हलके की आवाज विधानसभा में नहीं उठाई। एक भी काम नहीं करवाया। मैं सरकार से हलके के 12 गांव में पीने के पानी की समस्या दूर कराने के लिए 250 करोड़ का प्रोजेक्ट लेकर आया हूं। चुनाव आचार संहिता के चलते टेंडर नहीं हो सका।
हलके के अंदर 10 साल में जो काम करवाए थे, उनको भी भाजपा सरकार संभाल नहीं सकी। गांवों में स्टेडियम बनवाए थे, उनमें आज घास खड़ी है। पिछले साल जलभराव से हलके के नौ गांव में फसल चौपट हो गई थी, सरकार समय पर निकासी नहीं करवा सकी।