पानीपत, हिसार के खेदड़ और यमुनानगर में लगे थर्मल पावर प्लांट से हरियाणा के अन्य हिस्सों में जरूरत के अनुसार रोजाना बिजली आपूर्ति की जाती है। अगर यमुनानगर की बात करें तो यहां से रोजाना करीब पांच करोड़ रुपये की बिजली का उत्पादन होता है।
बिजली का उत्पादन कम होने लगा है…
सूरज की तपिश संग बिजली खपत भी बढ़ने लगी है। दूसरी ओर बिजली का उत्पादन कम होने लगा है। राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट खेदड़ (हिसार), पानीपत थर्मल पावर प्लांट और यमुनानगर दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्लांट की बात करें तो गर्मी के चलते तीनों प्लांटों में बिजली के उत्पादन पर असर पड़ने लगा है। तीनों प्लांट 2510 मेगावाट के हैं, जबकि मौजूदा समय में इन प्लांटों से करीब 1956 मेगावाट ही उत्पादन हो रहा है। अगर अलग-अलग इन प्लांटों की बात करें तो खेदड़ में स्थापित 1200 मेगावाट प्लांट से 900, पानीपत के 710 मेगावाट से 538 और यमुनानगर के 600 मेगावाट से करीब 502 मेगावाट रोजाना बिजली उत्पादन हो रहा है।
विदित हो कि पानीपत, हिसार के खेदड़ और यमुनानगर में लगे थर्मल पावर प्लांट से हरियाणा के अन्य हिस्सों में जरूरत के अनुसार रोजाना बिजली आपूर्ति की जाती है। अगर यमुनानगर की बात करें तो यहां से रोजाना करीब पांच करोड़ रुपये की बिजली का उत्पादन होता है जबकि खेदड़ में 10 करोड़ की बिजली का उत्पादन होता है। यमुनानगर की बात करें तो थर्मल के 600 मेगावाट यूनिटों में बने स्विच यार्ड से चार डबल सर्किट बने हुए हैं।
इन्हीं सर्किटों से थर्मल की इन और आउट बिजली की सप्लाई होती है…
यहीं से बकाना वन, बकाना टू, जोड़ियों वन, जोड़ियो टू, अब्दुलापुर वन, रामपुर सर्किट, नीलोखेड़ी वन और नीलोखड़ी टू सर्किट जुड़े हैं। इन्हीं सर्किटों से थर्मल की इन और आउट बिजली की सप्लाई होती है और स्विच यार्ड से डिमांड के अनुसार रोजाना बिजली की सप्लाई होती है। इसी तरह यमुनानगर की तरह हिसार के राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट खेदड़ में भी स्विच यार्ड से चार सर्किट बने हुए हैं। इनमें किरोड़ी वन, किरोड़ी टू, फतेहाबाद के गांव मताना और सिरसा के नुईयावाली हैं जो कि 400 केवी के सर्किट हैं। यहां भी बिजली इन और आउट का सप्लाई होती है।