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मथुरा : होली के खुमार में डूबी कान्हा की नगरी में एक गांव ऐसा भी है, जहां सदियों से धधकती होली के बीच से पंडे के निकलने की परंपरा आज भी निभाई जा रही है। मान्यता है कि श्रद्धा के इस खेल में पंडे को होली की आंच बर्फ के माफिक ठंडी लगती है। इस बार फालैन गांव की धधकती होली से मोनू पंडा निकलेगा। वह वसंत से ही गांव कें प्रहलाद मन्दिर में रहकर आराधना कर रहा है तथा पिछले एक पखवारे से उसने अन्न का परित्याग कर दिया है। वह केवल दूध और फल ही ले रहा है। गोपाल मन्दिर के महन्त बालकदास ने बताया कि मोनू पिछले दो साल से धधकती होली से निकल रहा है तथा तीसरी बार होली से निकलने के लिए वह प्रहलाद मन्दिर में जप एवं तप कर रहा है।

यह विडंबना ही है कि फालैन गांव में इस अवसर पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है मगर जिला प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिये कोई इंतजाम नहीं किये जाते और चंद पुलिसकर्मियों के सहारे मेला सम्पन्न होता है।  

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