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Sirsa News हरियाणा के सिरसा जिले के फरवाई कलां गांव में पराली जलाने की घटना सामने आई है। खेतों में बड़े स्तर पर पराली जलाई जा रही है, जिससे प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है। किसान नेता लखविंदर औलख का कहना है कि यह किसानों की मजबूरी है, क्योंकि छोटे किसानों के पास पराली प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनें उपलब्ध नहीं हैं।

सांकेतिक तस्वीर

किसानों की आर्थिक मजबूरी और संसाधनों की कमी

लखविंदर औलख ने बताया कि छोटे किसानों के पास सीमित संसाधन हैं और उन्हें धान बेचने के लिए मंडियों में कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा, उन्हें कृषि उपकरण और खाद जैसे डीएपी प्राप्त करने के लिए भी लंबी कतारों का सामना करना पड़ता है। औलख ने मांग की कि सरकार किसानों को बेहतर सुविधाएं और उपकरण प्रदान करे ताकि पराली जलाने की घटनाओं में कमी आ सके।

छोटे किसानों के पास सीमित संसाधन

औलख ने कहा कि छोटे किसानों के पास संसाधनों की भारी कमी है। उन्होंने यह भी बताया कि पराली जलाने से प्रदूषण का सिर्फ 2 प्रतिशत हिस्सा ही होता है, जबकि शेष 98 प्रतिशत प्रदूषण उद्योगों से आता है।

सरकारी सहायता की जरूरत

औलख ने सरकार से अपील की कि वे किसानों को सिर्फ 1000 रुपये का आश्वासन देने के बजाय, ठोस समाधान प्रदान करें। किसी भी किसान की इच्छा नहीं होती कि वह अपने बच्चों को धुएं में रखे या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए, लेकिन संसाधनों की कमी और मजबूरी के चलते उन्हें पराली जलानी पड़ती है।