हरियाणा में अब बाल सेवा आश्रम में रहने वाले अकेले व्यक्तियों और लावारिस बच्चों के भी परिवार पहचान पत्र (PPP) बनाए जाएंगे. इसके लिए मानव संसाधन सूचना विभाग ने परिवार पहचान पत्र हरियाणा के पोर्टल पर विकल्प दिया है. इसमें छोड़े गए बच्चे का नाम और आधार कार्ड और एक फोन नंबर दर्ज करने के बाद उसकी फैमिली आईडी बन जाएगी. वहीं, एक व्यक्ति के लिए अलग- अलग बिजली मीटर और घर रखना जरूरी होगा. उसकी फैमिली आईडी बनाने से पहले उसका भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा.

वर्तमान में तोशाम रोड बाल सेवा आश्रम, भिवानी में 7 लड़के और 15 लड़कियाँ रह रहे हैं. इसी तरह बाल सेवा आश्रम में 18 साल से कम उम्र के लावारिस बच्चों को यहां रखा जाता है. राज्य अपराध शाखा द्वारा सीडब्ल्यूसी के माध्यम से बचाए गए बच्चे छोड़े गए अधिकांश लोग मंदबुद्धि से पीड़ित होते हैं या किसी बुरी परिस्थिति के शिकार होते हैं. फिलहाल, अपनाघर में 110 पुरुष और 52 महिलाएं हैं. चूंकि, उनका कोई परिवार नहीं है, इसलिए उन्हें परिवार पहचान पत्र भी नहीं मिल पाया है.

  • ऐसे बच्चों और अकेले लोगों के लिए मानव सूचना संसाधन विभाग ने परिवार पहचान पत्र पोर्टल पर नए विकल्प दिए हैं. किसी भी लावारिस बच्चे की फैमिली आईडी बनाने के लिए उसका नाम और उसका आधार नंबर अनिवार्य होगा. किसी का भी मोबाइल नंबर उसके परिवार के मुखिया के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है.
  • पारिवारिक आईडी के लिए अलग से आवेदन देने के बाद मानव सूचना संसाधन विभाग की एक टीम भौतिक सत्यापन के लिए मौके पर पहुंचेगी. टीम यह भी जांचेगी कि वह व्यक्ति वास्तव में किसी के साथ तो नहीं रहता है और उसका घर व बिजली मीटर भी अलग- अलग जुड़ा हुआ है या नहीं. उसके बाद ही उसकी फैमिली आईडी बनेगी.

परिवार पहचान पत्र के विकल्प लगातार अपडेट किये जा रहे हैं. इसके अनुसार परिवार पहचान पत्र बनाए जा रहे हैं. बाल सेवा आश्रम में रहने वाले परित्यक्त बच्चों के लिए परिवार पहचान पत्र पोर्टल पर विकल्प भी शुरू किए गए हैं. इसके बाद, विशेष मामले के तौर पर भिवानी में 15 लावारिस बच्चों की फैमिली आईडी भी बनाई गई है- खुशवंत सिंह, जिला प्रबंधक, मानव सूचना संसाधन विभाग, भिवानी

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