मानेसर भूमि घोटाले में आरोपितों को झटका देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आरोप तय करने व समन आदेश को रद करने की मांग खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में फरवरी माह में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। हाईकोर्ट की जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने बृहस्पतिवार को फैसला सुनाते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।

हालांकि, खबर लिखे जाने तक हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी जारी नहीं हुई थी। यह याचिका हरियाणा सरकार के पूर्व नौकरशाहों राजीव अरोड़ा, एसएस ढिल्लो, छतर सिंह, एमएल तायल, जसवंत सिंह, अनिल कुमार, डॉ. एस ढींगरा, कुलवंत सिंह लांबा ने दायर की थी।
उन्होंने अलग-अलग तारीखों पर तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ विभिन्न प्रमुख पदों पर काम किया था और इनमें कुछ बिल्डर भी शामिल हैं। हुड्डा और इन नौकरशाहों के खिलाफ मुकदमा दिसंबर 2020 से रुक गया था, जब इन नौकरशाहों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पिछले पांच वर्षों से लगी रोक
एक सुनवाई पर सीबीआई ने आवेदन दायर कर अदालत से सुनवाई की। वास्तविक तारीख तय करने का अनुरोध किया कि इस मामले में पिछले पांच वर्षों से रोक लगी है, उस पर अंतिम रूप से सुनवाई और निपटारा किया जा सके।
सीबीआइ ने पूर्व गृह सचिव राजीव अरोड़ा द्वारा दायर मुख्य याचिका के संबंध में आवेदन दायर किया था, जिनकी याचिका पर हाई कोर्ट ने दिसंबर 2020 में सुनवाई पर रोक लगा दी थी। इस याचिका के खारिज होने के बाद सुनवाई पांच साल बाद शुरू होने की संभावना बढ़ गई है।
मुकदमे का सामाना करने के लिए बुलाया था
एक दिसंबर 2020 को तत्कालीन विशेष सीबीआइ न्यायाधीश (पंचकूला) जगदीप सिंह ने राजीव अरोड़ा को धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत अपराध के लिए अतिरिक्त आरोपित के रूप में मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया था।
हाई कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में अरोड़ा ने दावा किया था सीबीआई अदालत ने गलत तरीके से सीबीआई को उनके खिलाफ कथित अपराध सामग्री को मंजूरी देने वाले प्राधिकारी के समक्ष रखने और उनके अभियोजन के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत मंजूरी लेने का निर्देश दिया है।