HARYANA VRITANT

Chandigarh News नायब सिंह सैनी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 2009 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद हुई। इसके बाद उनका करियर लगातार ऊपर चढ़ता गया। 2014 में हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री बने, फिर सांसद और अंत में मुख्यमंत्री पद पर पहुंचे।

नायब सिंह सैनी की राजनीतिक यात्रा

कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में भाजपा से की थी शुरुआत

नायब सैनी का भाजपा से जुड़ाव कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर हुआ था। 1996-97 में रोहतक स्थित भाजपा कार्यालय में मनोहर लाल खट्टर के साथ काम करने के दौरान उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलने लगीं।

कानून की डिग्री और पारिवारिक समर्थन

सैनी ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है। उनके परिवार में उनकी मां, पत्नी और दो बच्चे हैं। उनकी पत्नी सुमन सैनी भी राजनीति में सक्रिय हैं और वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं।

पहला चुनाव 2009 में हारा, लेकिन सफलता का सिलसिला 2014 से शुरू हुआ

2009 में नारायणगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़कर कांग्रेस उम्मीदवार रामकिशन से हार गए। लेकिन 2014 में फिर से चुनाव जीतकर विधायक बने और 2016 में राज्य मंत्री का पद मिला।

2019 में सांसद, 2023 में प्रदेश अध्यक्ष और अब मुख्यमंत्री

सैनी 2019 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद बने और तीन लाख वोटों से जीत हासिल की। उनकी विनम्रता और सौम्य छवि के चलते 2023 में उन्हें हरियाणा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके छह महीने बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई।

सैनी की सफलता के पीछे मनोहर लाल का अहम योगदान

नायब सैनी मनोहर लाल खट्टर को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। राजनीति में उनकी सफलता में खट्टर की बड़ी भूमिका रही है।

परिवार और पृष्ठभूमि

नायब सैनी का परिवार मूल रूप से कुरुक्षेत्र के गांव मंगोली जाटान का रहने वाला है। उनके पिता ने चीन और पाकिस्तान के खिलाफ युद्धों में हिस्सा लिया था। सैनी की पत्नी भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।