Karnal News करनाल में दीवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, और आतिशबाजी तथा पराली जलाने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 261 पर पहुंच गया है। यह स्तर पिछले साल की तुलना में कुछ कम है, लेकिन फिर भी खराब श्रेणी में आता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए काम कर रहे हैं, मगर जन जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
बढ़ती प्रदूषण दर और आतिशबाजी का असर
छोटी दीवाली और मुख्य दीवाली के दिन शहर में जमकर पटाखे छोड़े गए, जिससे हवा में प्रदूषण बढ़ गया। साथ ही, आसपास के खेतों में पराली जलाने की घटनाओं ने भी प्रदूषण में वृद्धि की है। हालांकि, इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार देखा गया है।
सात दिन में नौ पराली जलाने के मामले
करनाल जिले में पिछले सात दिनों में पराली जलाने के नौ मामले सामने आए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कृषि विभाग ने इन मामलों पर सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। वहीं, अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में करनाल का AQI लगातार बढ़ता हुआ देखा गया है।
सख्तियों के बावजूद बढ़ता वायु प्रदूषण
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जिले में लकड़ी और कोयला जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, बिना ड्यूल फ्यूल किट के जेनरेटरों के इस्तेमाल पर रोक है। बोर्ड ने निर्माण स्थलों पर भी बार-बार पानी छिड़काव के निर्देश दिए हैं ताकि धूल और प्रदूषण को कम किया जा सके।
ग्रैप प्रक्रिया के तहत प्रतिबंधों का प्रावधान
वायु प्रदूषण बढ़ने पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू किया जाता है, जिसमें AQI के अलग-अलग स्तरों के अनुसार प्रतिबंध लगाए जाते हैं। AQI 450 से अधिक होने पर सबसे कठोर कदम उठाए जाते हैं।
वायु गुणवत्ता सूचकांक का मानक
- 0-50: अच्छा
- 51-100: संतोषजनक
- 101-200: मॉडरेट
- 201-300: खराब
- 301-400: ज्यादा खराब
- 401 और ऊपर: बेहद खराब
पोर्टल पर पंजीकरण से प्रदूषण पर नजर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सरकारी और निजी एजेंसियों के लिए नियम बनाए हैं कि काम शुरू करने से पहले डस्ट पोर्टल पर पंजीकरण कराएं। इससे ऑनलाइन निगरानी के जरिये वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिलती है। हालांकि, कई बार एजेंसियों द्वारा इन नियमों की अनदेखी के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जिसके खिलाफ बोर्ड सख्त कार्रवाई करता है।