करनाल। कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के पेयजल के नमूने लगातार छठी बार फेल मिले हैं। जिसको लेकर स्टेट लैब ने मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किया है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीज, उनके तीमारदार व स्टाफ दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं।
पिछले छह माह में मेडिकल कॉलेज के किसी न किसी ब्लॉक के पेयजल के नमूनों की रिपोर्ट अनफिट या हाइपर क्लोरीन की श्रेणी में मिली है। अबकी बार रिपोर्ट में आरडीएच ब्लॉक व आईपीडी ब्लॉक के पेयजल की रिपोर्ट अनफिट श्रेणी में मिली है।
इसके साथ ही जिले में 13 स्थानों के नमूने अनफिट व 12 स्थानों के नमूने हाइपर क्लोरीन श्रेणी में मिले हैं। जिसके बाद हरियाणा राज्य जनस्वास्थ्य प्रयोगशाला करनाल की ओर से पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। इनमें मेडिकल कॉलेज, यूपीएचसी सेक्टर-छह, जुंडला, मधुबन, इंद्रा कॉलोनी, पधाना के नमूने अनफिट व सग्गा, रामनगर, पोपड़ा व बरसत के नमूने हाइपर क्लोरीन श्रेणी में मिले हैं।
जिले में सुधार लेकिन मेडिकल कॉलेज की नहीं सुधर रही स्थिति
हरियाणा राज्य जनस्वास्थ्य प्रयोगशाला ने जून में विभिन्न ट्यूबवेलों के 156 पानी के नमूने लेकर जांच की। इनमें से 13 नमूने अनफिट और 12 में हाइपर क्लोरीन यानि पानी में क्लोरीन की अधिक मात्रा मिली है। प्रयोगशाला की ओर से नोटिस जारी कर तुरंत प्रभाव से पेयजल की आपूर्ति पर रोक लगाने और पानी में बैक्टीरिया मुक्त करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि पिछले पांच माह की रिपोर्ट को देखें तो जून की रिपोर्ट में काफी हद तक सुधार देखने को मिला है लेकिन यहां पर मेडिकल कॉलेज में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं हुआ है।
आगामी 15 दिनों तक उबालकर पीएं पानी
एमडी पैथालॉजी डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि जिन क्षेत्रों के पेयजल के सैंपल अनफिट या हाइपर क्लोरीन आए हैं। उन्हें करीब 15 दिनों तक पानी उबाल कर ही पीना चाहिए। जिससे वे पेट संबंधी बीमारी होने से अपने आपको बचा सकते हैं नहीं तो उन्हें दूषित पानी पीने से डायरिया, लीवर, किडनी के इन्फेक्शन सहित अन्य बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। ऐसे में सभी अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।
प्रयोगशाला ने संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को पानी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही जुलाई व अगस्त माह में ज्यादा से ज्यादा पेयजल नमूनों की जांच करवाने के भी निर्देश जारी किए हैं। जिससे गर्मी के मौसम में दूषित पानी पीने से होने वाली बीमारियों से लोगों का बचाव किया जा सके।