HARYANA VRITANT

निसिंग। धान की बासमती व पीआर किस्मों की फसलों में बारिश की कमी के चलते पत्ता लपेट सुंडी के प्रकोप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसान सेठी, रजत, राजेश, संजू ने बताया कि इस बार पर्याप्त मात्रा में बारिश समय से न होने के कारण पत्ता लपेट सुंडी का प्रकोप शुरू हो गया है।

सांकेतिक तस्वीर

किसानों के अनुसार पत्ता लपेट सुंडी पत्ते का हरा पदार्थ चूस लेती है, जिससे पत्ता सूखने लगता है और सफेद हो जाता है। इस बीमारी से ग्रस्त पौधा कमजोर हो जाता है। यदि समय पर रोकथाम नहीं की जाए तो पौधा मर जाएगा। इसलिए किसान धान की फसल का नियमित निरीक्षण करते रहे। कृषि सहायक तकनीकी प्रबंधक संदीप कुमार का कहना है कि धान की फसल में अधिक यूरिया डाले जाने के कारण यह बीमारी पनप गई है।

कई बार धान में ज्यादा यूरिया डालने से पौधे में कच्चापन अधिक हो जाता है, जिससे पत्ता लपेट सूंडी का प्रकोप बढ़ जाता है। शुरुआत में यह बीमारी कुछ पौधों पर आती है और धीरे-धीरे आसपास के पौधों को अपनी चपेट में ले लेती है। इसलिए पत्ता लपेट सूंडी की समय रहते रोकथाम करनी जरूरी है। किसानों को धान की फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए।

फसल का निरीक्षण करते रहें

सहायक तकनीकी प्रबंधक संदीप कुमार का कहना है किसान धान की फसल का लगातार निरीक्षण करते रहें। यदि धान में बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो विशेषज्ञों की सलाह पर दवाई का छिड़काव करें। जिसमें ओरफ्लयूबेडायड 50 ग्राम, स्पिनोसैड 45 प्रतिशत एससी 75 मिली ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें। दुकानदारों के बहकावे में न आकर अंधाधुंध कीटनाशक डालने से बचें, क्योंकि अधिक कीटनाशक डालने से जहां वातावरण दूषित होगा, वहीं जमीन में मित्र कीटों को नुकसान होता है।