HARYANA VRITANT

कैथल। मोबाइल पर एनी डेस्क एप के जरिये आप ठगे जा सकते हैं। इससे बचने के लिए जागरूकता जरूरी है। इस संबंध में पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को सावधान किया है।

सांकेतिक तस्वीर

एसपी उपासना ने बताया कि आज के युग में ज्यादातर लोग ऑनलाइन खरीदारी या खाते से पैसे ट्रांसफर करने के लिए मोबाइल एप का इस्तेमाल करते हैं। अगर मोबाइल पर किसी सोशल मीडिया के जरिए एनीडेस्क मोबाइल एप का लिंक फॉरवर्ड होकर आ जाए तो उस पर क्लिक करने से बचें। यह ऐप बैंक खाते के लिए घातक हो सकता है। साइबर शातिर आजकल ऑनलाइन ठगी के लिए एनीडेस्क एप का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।

एसपी उपासना ने बताया कि आप किसी भी दूरस्थ डेस्कटॉप एप को अपने डिवाइस में डाउनलोड न करें। किसी भी व्यक्ति को अपनी आईडी, पासवर्ड, पिन, खाता संख्या आदि की जानकारी न दें। उन्होंने एनीडेस्क नाम के एक रिमोट डेस्कटॉप एप बारे आगाह किया है। एनी डेस्क एप ठगों के लिए एक बहुत ही सरल साधन है, क्योंकि यह उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर अलग-अलग मोबाइल और सिस्टम से कनेक्ट करने की अनुमति देता है। आम शब्दों में यह एक स्क्रीन शेयरिंग प्लेटफॉर्म की तरह है।

इसका उपयोग धोखा देने और ऑनलाइन ठगी…

अपराधी इसका उपयोग धोखा देने और ऑनलाइन ठगी के लिए कर रहे हैं। कुछ व्यक्ति गूगल पर मौजूद कस्टमर केयर का नंबर सर्च करके इस्तेमाल करते हैं और कुछ मामलों में पीडि़त खुद कुछ समस्याओं के समाधान के लिए कस्टमर केयर को कॉल करता है। ऐसे में धोखाधड़ी करने वाले का मकसद पीडि़त के मोबाइल फोन पर एनीडेस्क या टीम व्यूअर एप डाउनलोड करने के लिए बाध्य करना होता है। कोई भी ऐप डाउनलोड करने के बाद धोखाधड़ी करने वाले को नौ अंकों के रिमोट डेस्क कोड की आवश्यकता होती है।

इसलिए वह उसके लिए पीडि़त से पूछताछ करेगा। एक बार जब पीडि़त नौ अंकों वाला कोड बता देता है और एप की अनुमति दे देता है तो धोखाधड़ी करने वाले को अपने डिवाइस पर पीडि़त के डिवाइस की स्क्रीन देखने को मिल जाएगी। इसे वह रिकॉर्ड भी कर सकता है। जब वह अपने बैंकिंग या यूपीआई एप का आईडी या पासवर्ड टाइप करता है तो ठग उसे नोट कर लेता है। यह एप फोन के लॉक होने पर भी बैकग्राउंड में काम करता है।

एंड्रॉयड फोन पर एनीडेस्क एप आसानी से धोखेबाज व्यक्ति को उसकी जानकारी के बिना पीडि़त के फोन की स्क्रीन को देखने और रिकॉर्ड करने की अनुमति देता है। कोई भी व्यक्ति साइबर अपराध से संबंधित किसी प्रकार की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 और साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट कर नजदीकी थाने में शिकायत दें।