आलू की फसल तैयार होने के बाद खेत में मक्का और बलविंद्र सिंह ने बताया कि इसके बाद धान, मटर, आलू , गोभी व खरबूजा की फसल लेते हैं। बताया कि वे आलू, धान और मक्के की खेती के अलावा आलू के बीज भी बेचते हैं।

इंसान यदि चाह ले तो हर काम संभव है। खेती को पहले घाटे का सौदा माना जाता था, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला है तो अब खेती खेती करने के तरीके भी बदल गए हैं। ऐसे में लगातार बढ़ रहे विभिन्न संसाधनों ने किसानों को लाभ देना शुरू किया। ऐसे आज कम जमीन पर बंपर फसल उगाकर किसान मालामाल बन रहे हैं। ऐसे ही प्रगतिशील किसान बलविंद्र सिंह भूट्टों कैथल के बाबा लदाना गांव में हैं, जिन्होंने आलू की खेती से लाखों रुपये का मुनाफा कमाया है।

बाबा लदाना में यह किसान परंपरागत खेती के तरीके से अलग कुछ किसान अलग तरह की खेती कर रहे हैं। इस खेती में किसानों को लाखों रुपये का मुनाफा भी हो रहा है। अलग फसल और मांग के मुताबिक उत्पादन करके किसान लाभ कमा रहे हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो मौसमी फसल से भी अच्छी खासी कमाई करते हैं। 45 वर्षीय बलविंद्र भूट्टों अपने खेतों में आलू की खेती करते हैं। आलू बेचने के अलावा वो इसके बीज को भी मार्केट में बेचते हैं। जिससे इन्हें दोगुना मुनाफा होता है।

बलविंद्र ने बताया कि इस बार आलू के रेट इजाफा होने के कारण किसानों के चेहरे पर अच्छी रौनक है। बीते कई सालों के विपरीत इस साल आलू का रेट लगभग 1700 से 1800 प्रति क्विंटल की दर से बिका है। बताया कि हरियाणा के सभी जिलों के व्यापारी तो यहां आते है। आलू की कई गाडियां भरकर ले जाते है। इस बार अच्छी पैदावार व बढिया रेट होने के कारण आलू की खेती करने वाले किसानों को अच्छी कमाई हो रही है। बताया कि वे इस काम को पिछले 12 वर्षों से कर रहे हैं। आलू की खेती के लिए तीन महीने का वक्त लगता है। तीन माह में ही आलू की फसल तैयार हो जाती है। इसके बाद उसी जमीन पर वे दूसरी फसल लेते हैं।आलू की फसल तैयार होने के बाद खेत में मक्का और बलविंद्र सिंह ने बताया कि इसके बाद धान, मटर, आलू , गोभी व खरबूजा की फसल लेते हैं। बताया कि वे आलू, धान और मक्के की खेती के अलावा आलू के बीज भी बेचते हैं। कहा कि ऐसे युवा जिनके पास जमीन है और वो नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं। ऐसे युवा आसानी से खुद की जमीन पर मेहनत करके लाखों रुपये कमा सकते हैं।