HARYANA VRITANT

जींद। सोमवार को जिला परिषद की ग्रांट वितरण बैठक पार्षदों के हंगामे के बीच शुरू हुई। जिला परिषद की चेयरपर्सन के पक्ष में 18 पार्षद समय पर पहुंच गए थे, फिर भी जिला परिषद की सीईओ डॉ. किरण सिंह किसी अन्य बैठक के लिए निकलने लगीं। इस पर पार्षदों ने उनका रास्ता रोकते हुए विरोध किया और उनकी गाड़ी को आगे बढ़ने से रोक दिया। स्थिति बिगड़ते देख, सीईओ ने अंततः बैठक में भाग लिया, और पौने सात करोड़ की ग्रांट का वितरण किया गया।

जिला परिषद की ग्रांट वितरण बैठक पार्षदों के हंगामे के बीच शुरू हुई।

लगभग डेढ़ माह से चल रही उठापटक

पिछले डेढ़ माह से ग्रांट वितरण को लेकर विवाद चल रहा था, जिसके चलते जिला परिषद की चार बैठकें रद्द हो चुकी थीं। सोमवार को निर्धारित बैठक में सभी पार्षद पहुंचे, लेकिन सीईओ की अनुपस्थिति ने संदेह पैदा किया। जब सीईओ कार्यालय छोड़कर जाने लगीं, तो पार्षदों ने उन्हें रोककर बैठक में भाग लेने के लिए मजबूर किया।

हंगामे के बीच ग्रांट का वितरण

बैठक के दौरान, सभी पार्षदों ने चेयरपर्सन मनीषा रंधावा को ग्रांट वितरण के अधिकार सौंपे। पंचायतों द्वारा कुछ मांगें भी उठाई गईं, जिन्हें पार्षदों ने स्वयं पूरा करने का संकल्प लिया। बैठक को केवल आठ मिनट में समाप्त कर ग्रांट का वितरण कर दिया गया।

एसएफसी और एफएफसी के तहत हुई राशि का वितरण

स्टेट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एसएफसी) और फारटीन फाइनेंस कमीशन (एफएफसी) के तहत आई राशि का वितरण किया गया, जिसमें 4.3 करोड़ रुपये एसएफसी और 2.71 करोड़ रुपये एफएफसी के तहत वितरित किए गए। इन राशियों का उपयोग गांवों के विकास के लिए किया जाएगा।

गांवों के विकास को मिलेगी गति

इस बैठक में जो पार्षद पहुंचे, वे गांवों के विकास के लिए प्रतिबद्ध थे। पहले की बैठकों के रद्द होने का कारण कुछ पार्षदों की स्वार्थपरक इच्छाएं थीं। अब इस वितरित राशि से गांवों का विकास किया जाएगा।