हरियाणा : नेशनल कैपिटल रिजन और उससे जुड़े क्षेत्रों के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष (सी.ए.क्यू.एम.) एम.एम. कुट्टी ने हरियाणा सरकार को इस साल के खरीफ सीजन में शून्य पराली जलाने के लक्ष्य को प्राप्त करने का निर्देश दिया है। निर्देश के मुताबिक, कुट्टी ने कहा कि शून्य पराली जलाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार कोई भी योजना और कदम उठाए, लेकिन इस साल पराली की एक भी घटनाएं नहीं होनी चाहिए।
सबसे अधिक 14 जिलों में जलती पराली
प्रदेश में जिन 14 जिलो में सबसे अधिक पराली जलाई जाती है, उनके उपायुक्तों को ये सख्त हिदायत कुट्टी की तरफ से दे दी गई है। हालांकि उन्होंने हरियाणा की तारीफ करते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि हरियाणा ने इस दिशा में बेहतर काम किया है। इन जिलों में फतेहाबाद, सिरसा, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, यमुनानगर और करनाल शामिल है। कुट्टी ने कहा कि पराली जलाने के स्थान पर किसानों को इससे व्यापार करना चाहिए।
45% आई कमी
हरियाणा सरकार ने पिछले साल पराली जलाने की घटनाओं में 45 प्रतिशत की गिरावट लाने का दावा किया था। ये गिरावट गत वर्ष 25 सितंबर से 15 नवंबर के बीच दर्ज की गई थीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में पराली जलाने की 3149 घटनाएं सामने आई थीं। जबकि इसी समय अवधि के दौरान वर्ष 2021 में 5724 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं।
इकलौता हरियाणा देता है 1 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि
अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) सुमीता मिश्रा ने बताया कि हरियाणा देश में इकलौता ऐसा प्रदेश है जहां किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ 1 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत 92442 किसानों को 84.30 करोड़ रुपये दिए। जा चुके हैं। इसी तरह 34239 किसानों को 41.42 करोड़ रुपए दिए। गए जिन्होंने फसल विविधीकरण (क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन) को अपनाया है। इसके अलावा 29.12 करोड़ रुपए 16.616 किसानों को दिए गए जिन्होंने डायरेक्ट डी.एस.टी. तकनीक का इस्तेमाल किया है। मिश्रा ने आगे बताया कि हरियाणा सरकार ने किसानों को 7044 मशीनें फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपलब्ध कराई है, जिनकी कीमत 100 करोड़ रुपए है।