चंडीगढ़: पूर्व केंद्रीय जल-शक्ति व सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री वर्तमान सांसद रतनलाल कटारिया ने आज भारत की संसद में रूल 377 के अंतर्गत मुद्दा उठाया कि भारत के लिए गौरव की बात है कि भारत को विश्व के सबसे शक्तिशाली जी-20 की अध्यक्षता प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है l इस शक्तिशाली समूह की वैश्विक जीडीपी में 85% भागीदारी है l
विश्व का 80% उत्पादन जी-20 देशों में होता है इस समूह का वैश्विक व्यापार में 75% योगदान है l विश्व की 65% जनसंख्या इन देशों में रहती है l रतनलाल कटारिया ने संसद में कहा कि 23 साल पहले 1999 में एशिया में आए वित्तीय संकट के परिणाम स्वरूप जी-20 का गठन हुआ और 2008 में इसे राष्ट्रीय अध्यक्षों एवं सरकारों के बीच गठजोड़ के रूप में उन्नत किया गया ।
“एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य”
रतनलाल कटारिया ने कहा कि भारत ने सारी दुनिया को यह विश्वास दिलाया है कि हम “एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य” के संकल्प के साथ दुनिया के साथ मिलकर चलेंगे।
भारत के वित्तीय समावेशन के मॉडल की सारे विश्व में प्रशंसा हो रही है। भारत अपनी पहली बैठक वित्तीय समावेशन के लिए वैश्विक साझेदारी पर आयोजित कर रहा है। G-20 अंतरराष्ट्रीय आशाओं का केंद्र बिंदु बना हुआ है। भारत ने विश्व में "वसुधैव कुटुंबकम" के मंत्र से विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया हैं।
संसद में रतनलाल कटारिया ने कहा कि भारत की यह महान संसद जी-20 के सम्मेलन को सफल बनाने के लिए रूस ,यूक्रेन युद्ध, एशिया में चीन के कार्मिक तेवर, विश्व में बढ़ती हुई महंगाई, भारत का जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण संरक्षण का अभियान, यूपीआई के माध्यम से भारत का डिजिटल भुगतान क्रांति, ग्रामीण भारत में हाई स्पीड इंटरनेट, भारत के डिजिटल साक्षरता अभियान, डीबीटी के माध्यम से लीकेज पर लगाम कर भ्रष्टाचार को खत्म करना, भारत की टेक्नोलॉजी का भारत में नई शक्ति के रूप में उभरना, भारत के यूनिकॉर्न में जबरदस्त वृद्धि होना, भारत में आए व्यापार करने की सुगमता से कारोबार को पंख लगना व सुधार की दिशा में बढ़ते कदम आदि कुछ ऐसे विषय हैं जिन पर भारत की संसद चर्चा करके वर्ष 2023 में होने वाला जी-20 सम्मेलन को सार्थक बना सकते हैं l