हरियाणा में मंत्रियों, मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, और विपक्ष के नेता के वेतन और भत्तों पर आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से किया जा रहा है। हालांकि, विधायकों के वेतन पर यह सुविधा बंद कर दी गई है। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट हेमंत कुमार के सवाल पर विधानसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी।
सात साल तक विधायकों के आयकर का सरकारी भुगतान, अब सिर्फ भत्तों पर जारी
हरियाणा में 2011 से 2018 तक विधायकों के वेतन और भत्तों दोनों पर आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से किया गया, लेकिन अब यह सुविधा केवल भत्तों पर सीमित कर दी गई है। वेतन पर अब विधायकों को स्वयं आयकर का भुगतान करना होता है।
अन्य राज्यों में मंत्री-विधायकों को खुद भरना होता है टैक्स
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मंत्रियों, विधायकों, और मुख्यमंत्री सहित अन्य पदाधिकारियों को अपने वेतन और भत्तों पर आयकर का भुगतान स्वयं करना अनिवार्य है। हरियाणा में हालांकि, यह प्रावधान अभी लागू नहीं है।
आरटीआई से सामने आई जानकारी और विधायकों से राशि की वसूली
आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत कुमार के अनुसार, हरियाणा विधानसभा ने स्वीकार किया कि विधायकों के वेतन पर सरकारी खजाने से गलत रूप में 2.87 करोड़ रुपये का आयकर भुगतान किया गया था। इसे वसूलने के लिए अब मासिक रूप से राशि काटी जा रही है।
अन्य राज्यों में लागू कर दिए गए ऐसे प्रावधान
मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपने मंत्रियों और विधायकों को सरकारी खजाने से टैक्स का भुगतान बंद कर दिया है।
हरियाणा में तीन कानूनों के तहत जारी है यह व्यवस्था
हरियाणा में 1970 के मंत्रियों के वेतन और भत्ते कानून और 1975 के विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के वेतन और भत्ते कानून के अंतर्गत इन अधिकारियों के आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से किया जा रहा है।