Chandigarh News हरियाणा सरकार ने 320 करोड़ रुपये की लागत से पराली जलाने के मामलों को शून्य तक लाने की योजना शुरू की है। इसमें 67 गांवों को रेड जोन और 402 गांवों को यलो जोन में शामिल किया गया है। इन गांवों में अस्थायी चौकियों और नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है।
पराली जलाने के मामलों में 87% की गिरावट
राज्य में पिछले 10 वर्षों में पराली जलाने के मामलों में 87% की कमी आई है। 2013 में 17,620 मामले थे, जबकि 2023 में यह संख्या घटकर 2303 रह गई। 2024 में 22 अक्टूबर तक 665 मामले सामने आए, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे कम हैं।
पराली प्रबंधन के लिए मशीनों और संसाधनों की उपलब्धता
क्षेत्रीय अधिकारियों की मांग के अनुसार, इस वर्ष 15,000 से अधिक सुपर सीडर और 1,805 बेलिंग यूनिट उपलब्ध कराए गए हैं। अब तक 90,000 से अधिक मशीनें इन-सीटू प्रबंधन के लिए दी गई हैं। इसके अलावा, राज्य में 12 बायोगैस प्लांट भी स्थापित हैं।
किसानों को प्रोत्साहन और सहायता राशि
किसानों को पराली प्रबंधन के लिए 1,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि दी जा रही है, जबकि गोशालाओं को धान की पराली उठाने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी। योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा।
नई सख्त नियम और कानूनी कार्रवाई
पहली बार पराली जलाने वाले किसानों पर रेड एंट्री का नियम लागू किया गया है, जिसके तहत अगले दो सीजन तक वे एमएसपी पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे। अब तक 374 किसानों की रेड एंट्री हो चुकी है, जबकि 102 एफआईआर दर्ज की गई है। 328 किसानों पर चालान किया गया है और 8.35 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया है।
पराली जलाने के ताजा मामले
फतेहाबाद, फरीदाबाद, अंबाला, कैथल और कुरुक्षेत्र जिलों में मंगलवार को पराली जलाने के 10 नए मामले सामने आए हैं। 2024 में अब तक कुल 665 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
कानूनी धाराएं और सजा
भारतीय न्याय संहिता-2023 की धारा 223ए, 223बी और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 39 के तहत किसानों पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। यह जमानती धाराएं हैं, लेकिन आरोपी को जुर्माना या तीन माह की सजा का प्रावधान है।