Haryana Weather हरियाणा में किसानों की धड़कनें एक बार फिर बढ़ गई है। खेतों में लहरा रही अन्नदाताओं की मेहनत कहीं मौसम की चपेट में न आ जाए। इसका डर सताने लगा है। प्रदेश के सात जिलों पंचकूला कुरुक्षेत्र करनाल कैथल सिरसा फतेहाबाद और जींद में ओलावृष्टि और बाकी जिलों में वर्षा होने की संभावना है। इससे किसानों की परेशान बढ़ सकती है।
हरियाणा में शुक्रवार से मौसम में बदलाव होगा। सात जिलों पंचकूला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद और जींद में ओलावृष्टि और बाकी जिलों में वर्षा होने की संभावना है। दो दिन तक वर्षा की संभावना के साथ ही 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि हरियाणा में मौसम आमतौर पर एक मई तक परिवर्तनशील रहने की संभावना है।
26 से बदलेगा मौसम का मिजाज
इस दौरान पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से 26 अप्रैल रात्रि से 27 अप्रैल के दौरान ज्यादातर क्षेत्रों में बादलवाई तथा गरज चमक के साथ उत्तरी व दक्षिण हरियाणा के जिलों में कहीं कहीं बूंदाबांदी या हल्की बारिश परंतु पश्चिमी
हरियाणा के जिलों में हवाओं के साथ छिटपुट बूंदाबांदी हो सकती है। इससे दिन के तापमान में कमी के साथ रात्रि के तापमान में हल्की बढ़ोतरी होने की संभावना है।
बारिश से 20 लाख टन गेहूं भीगा
वहीं बदलता मौसम किसानों के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है। अव्यवस्था के कारण बीते दिनों करनाल, पानीपत, अंबाला, यमुनानगर व कैथल की मंडियों में 20 लाख टन गेहूं भीग गया। इसके खराब होने का अंदेशा है। आढ़तियों का कहना है कि सरकार ने जिस एजेंसी को मंडियों से लोडिंग व गोदामों में अनलोडिंग का टेंडर दिया है, वह एजेंसी सही काम नहीं कर रही है। इतना ही नहीं उसके पास पर्याप्त लेबर न होने के कारण हालात बदतर हो गए हैं।
लाखों क्विंटल सरसों व गेहूं खराब
व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व कान्फेड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने कहा कि धीमे उठान के कारण वर्षा में किसान का लाखों क्विंटल गेहूं खराब हो गया है। सरकार को ठेकेदारों पर दबाव बनाकर तुरंत अनाज का उठान करवाना चाहिए।
सिरसा में भूंकप के झटके, नुकसान नहीं
सिरसा में वीरवार को शाम करीब छह बजकर 10 मिनट पर भूंकप के झटके महसूस किए गए। केंद्र डबवाली रहा। रियेक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 दर्ज की गई। नुकसान की कोई सूचना नहीं है। डबवाली केंद्र रहने के कारण पंजाब के अबोहर, बठिंडा और मानसा क्षेत्रों और राजस्थान के श्री गंगानगर, हनुमानगढ़ में भी धरती में कंपन हुई।