HARYANA VRITANT

शुभकरण की मौत (ShubhaKaran Death Case) की न्यायिक जांच पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इन्कार कर दिया। हालांकि हरियाणा सरकार ने अपनी दलील में कहा कि जब राज्य पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है तो न्यायिक जांच की आवश्यकता नहीं है। बता दें खनौरी बोर्डर के पास 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा पुलिस के बीच झड़प में उसकी मौत हो गई थी।

ShubhaKaran Death Case

न्यायिक जांच का यह आदेश पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा मामले की निगरानी से निष्पक्षता और पारदर्शिता आएगी। खनौरी के पास 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के बीच झड़प के बाद शुभकरण की मौत हो गई थी।

सात मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में मुख्य रूप से तर्क दिया है कि जब राज्य पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच करने के लिए तैयार है, तो जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

हरियाणा सरकार ने अपील में कहा है कि हरियाणा पुलिस (Haryana Police) इस मामले की जांच में न सिर्फ पूरी तरह से सक्षम है, बल्कि जांच को भी तैयार है। इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते समय हाई कोर्ट ने यह भी नहीं कहा था कि अभी तक की जांच में कोई कमी है।

वहीं इस घटना के दौरान हरियाणा पुलिस के साथ केंद्रीय सुरक्षा बल भी तैनात था। ज्ञात रहे कि हाई कोर्ट की पीठ ने आदेश दिया था कि तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर करेंगे। उनके साथ हरियाणा के एडीजीपी अमिताभ सिंह ढिल्लों व पंजाब के एडीजीपी प्रमोद बन को कमेटी का हिस्सा बनाया है।

जस्टिस जयश्री ठाकुर को प्रतिमाह पांच लाख रुपये का भुगतान दोनों सरकारों को बराबर हिस्से में करना होगा। कमेटी तय करेगी कि शुभकरण की मौत हरियाणा के क्षेत्राधिकार में हुई थी या पंजाब के क्षेत्र में। मौत का कारण क्या था और किस हथियार का इस्तेमाल किया गया था। आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग किया गया था, क्या वह परिस्थितियों के अनुरूप था या नहीं। साथ ही शुभकरण की मौत के मुआवजे को लेकर भी कमेटी फैसला लेगी।

हाई कोर्ट ने हरियाणा-पंजाब सरकार को फटकारा था एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने किसान शुभकरण की मौत के बाद एफआइआर दर्ज करने में देरी पर हरियाणा व पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि दोनों राज्य जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने का प्रयास कर रहे हैं।

राज्यों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा था कि मौत जाहिर तौर पर अत्यधिक पुलिस बल का मामला है। इस दौरान हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि किसानों (Kisan Andolan) पर गोलियां क्यों दागी गई। हरियाणा सरकार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की हिंसक कार्रवाई में 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और कई बार चेतावनी के बाद पहले लाठीचार्ज, फिर आंसू गैस, फिर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो रबर की गोलियां चलाई गई।