हरियाणा के सरकारी ( Haryana Government School News) स्कूलों में अब उन बच्चों को भी एडमिशन मिलेगा। जिनके पास ना तो परिवार पहचान पत्र है और ना ही आधार कार्ड। इसमें प्रवासी मजदूरों के बच्चे सबसे ज्यादा शामिल हैं। बीते दिनों अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्देश दिया गया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत ऐसे बच्चों का दाखिला किया जाए।
हरियाणा में सरकारी स्कूलों में अब परिवार पहचान पत्र और आधार कार्ड के बिना भी बच्चों के दाखिले होंगे। अगर जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो आंगनबाड़ी का रिकॉर्ड, अस्पताल या नर्स व दाई के रजिस्टर का रिकॉर्ड भी मान्य होगा। अगर यह रिकार्ड भी उपलब्ध नहीं है तो माता-पिता द्वारा बच्चे की आयु को लेकर दिए जाने वाला शपथपत्र मान्य होगा।
एडमिशन के लिए नहीं चाहिए पीपीपी और आधार नंबर
शिक्षा निदेशक की ओर से इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, मौलिक शिक्षा अधिकारियों और खंड शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट हिदायत दी गई है कि प्रवेश उत्सव के तहत नामांकन में परिवार पहचान पत्र और आधार नंबर की अनिवार्यता जरूरी नहीं है।
प्रवेश उत्सव (दाखिला प्रक्रिया) अभियान में ईंट-भट्ठों और खासकर प्रवासी मजदूरों के बच्चों को दाखिले में परिवार पहचान पत्र और आधार नंबर नहीं होने से परेशानी झेलनी पड़ रही है। पिछले दिनों अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा था।
दाखिले की इच्छा रखने वाले को तुरंत मिले दाखिला-अधिकारी
इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से फैसला लिया गया कि आरटीई की अनुपालना के लिए नजदीक के सरकारी विद्यालय द्वारा दाखिले की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी को तुरंत दाखिला दिया जाए। निदेशालय ने कहा, तुरंत दें दाखिला निदेशालय ने साफ लिखा है कि आरटीई एक्ट 2009 की अनुपालना में सरकारी स्कूल में दाखिले की इच्छा रखने वाले विद्यार्थी को तुरंत दाखिला दिया जाए।
स्कूल के दाखिला-खारिज रजिस्टर में उसका नामांकन करके शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत दी जाने वाली निश्शुल्क हक जैसे मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, कार्य पुस्तकें इत्यादि प्रदान की जाएं। बिना पीपीपी और आधार नंबर के दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों का डाटा एमआईएस पोर्टल पर अलग से अपलोड किया जाएगा।