Haryana News किसान मजदूर संघर्ष कमेटी से जुड़े एक किसान ने केंद्र सरकार की नीतियों से तंग आकर शंभू मोर्चा पर सल्फास निगल लिया। किसान की हालत बिगड़ने पर उसे राजपुरा सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

शंभू मोर्चे में बढ़ता तनाव:
किसानों के सब्र का बांध टूटने लगा है। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। किसान रेशम सिंह ने 6 जनवरी को अपने गांव से जत्था लेकर शंभू बॉर्डर में शामिल हुआ था। वीरवार को उसने केंद्र सरकार की नीतियों से आहत होकर आत्महत्या की कोशिश की।
परिवार की चिंता:
रेशम सिंह की पत्नी ने बताया कि उनका परिवार हमेशा से किसान आंदोलन में सक्रिय रहा है। दिल्ली आंदोलन में भी रेशम सिंह ने भाग लिया था और अब यह दुखद घटना उनके परिवार के लिए गहरी पीड़ा का कारण बन गई है।
किसान नेता और मुआवजे की मांग:
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सभरां ने रेशम सिंह के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग की है। साथ ही, किसानों की बाकी सभी मांगों के समर्थन में संघर्ष जारी रखने की बात की है।

केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन की अगली रणनीति:
किसान नेताओं ने 10 जनवरी को मोदी सरकार के पुतले जलाने और 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने की घोषणा की है। इन आंदोलनों का उद्देश्य एमएसपी गारंटी कानून और अन्य मुद्दों पर दबाव बनाना है।
किसान आंदोलन के शोक में मोर्चे का माहौल:
रेशम सिंह की मौत के बाद शंभू मोर्चे और उसके गांव पहुविंड में शोक की लहर है। किसानों ने सरकार से उनकी मांगें जल्द पूरी करने की अपील की है।