अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण के मामले में जयपुर पुलिस ने रिमांड के दौरान तीन आरोपितों से पूछताछ के बाद दो ऐसे आरोपितों को गुरुवार रात गिरफ्तार किया है जिन्होंने फर्जी कंपनी बना रखी थी और फोर्टिस अस्पताल से फर्जी एमओयू कर लोगों के मानव अंगों के प्रत्यारोपण करा रहे थे। इनकी गिरफ्तारी बंगाल से की गई है।पूछताछ में कई राज खुलेंगे।
अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण के मामले में जयपुर पुलिस ने रिमांड के दौरान तीन आरोपितों से पूछताछ के बाद दो ऐसे आरोपितों को गुरुवार रात गिरफ्तार किया है, जिन्होंने फर्जी कंपनी बना रखी थी और फोर्टिस अस्पताल से फर्जी एमओयू कर लोगों के मानव अंगों के प्रत्यारोपण करा रहे थे। इनकी गिरफ्तारी बंगाल से की गई है।
जयपुर पुलिस ने दोनों आरोपितों की पहचान कंपनी के निदेशक सुमन जाना और उसके कर्मचारी सुखमय नंदी उर्फ गोपाल के रूप में की है। इन दोनों को बंगाल के दो अलग-अलग जगहों पर दबिश देकर जयपुर पुलिस ने गुरुवार रात धर दबोचा।
जयपुर पुलिस को मिली बड़ी सफलता
बताया जाता है कि सुखमय नंदी मानव अंगों के प्रत्यारोपण का सबसे बड़ा दलाल है। अभी तक कि पूछताछ में पता चला था कि रांची निवासी मो. मुर्तजा अंसारी, नेपाल का मोहन नेपाली, कंबोडिया का सू-सू और बंगाल का सुलेमान एनओसी लेकर लोगों को अंग प्रत्यारोपण के लिए भेजता था।
रिमांड के दौरान पूछताछ में आरोपितों ने उगला सच
पांच अप्रैल को गुरुग्राम के सेक्टर 39 स्थित बाबिल गेस्ट हाउस से पकड़े गए पांच बांग्लादेशियों को प्रोडक्शन वारंट पर लेने के बाद जयपुर पुलिस ने इस मामले में पूछताछ के लिए अवैध रूप से एनओसी जारी वाले एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह, फोर्टिस अस्पताल के आर्गन विभाग के को-आर्डिनेटर विनोद सिंह और गिरिराज शर्मा को कोर्ट से तीन मई तक रिमांड लिया है।
इनसे पूछताछ में यह भी पता चला कि कानूनी दांव पेंच से बचने के लिए दिल्ली की एक कंपनी मैड सफर प्राइवेट लिमिटेड के साथ फोर्टिस अस्पताल ने करार किया था। इसके तहत कंपनी की तरफ से ही अंग प्रत्यारोपण के लिए डोनर और रिसीवर लाए जाते थे।
गुरुवार रात दोनों आरोपितों को पकड़ा गया
इस कंपनी के निदेशक व अन्य लोग धोखाधड़ी कर लोगों से मानव अंगों की खरीद फरोख्त करते थे। पूछताछ व जांच में सुमन जाना और सुखमय नंदी के कोलकाता के आसपास होने की जानकारी मिली। इसके बाद एक टीम यहां के लिए रवाना की गई। गुरुवार रात दोनों आरोपितों को पकड़ा गया। अब इनसे पूछताछ में पता चलेगा कि आखिर इन्होंने कितने लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट कराया।