हरियाणा में भाजपा सरकार का सबसे बड़ा और भरोसेमंद नारा रहा है – “बिना पर्ची, बिना खर्ची सरकारी नौकरी”। यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक संकल्प रहा है भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का। भाजपा का मूल एजेंडा सिर्फ नौकरियों की पारदर्शिता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शासन के हर स्तर पर भ्रष्टाचार को समाप्त करना या कम से कम नियंत्रित करना रहा है।

यही कारण रहा कि सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने फिर से सरकार बनाई। मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग यह मानता रहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो एक बार फिर से भ्रष्टाचार के पुराने दिन लौट आएंगे — खासकर सरकारी नौकरियों में बड़े पैमाने पर घोटालों की आशंका थी। ऐसे में तमाम नाराजगी के बावजूद भाजपा को वोट देकर जनता ने साफ संदेश दिया कि ईमानदारी ही प्राथमिकता है।


2025: जब राजस्व विभाग बना सरकार के लिए चुनौती

भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई का अगला मोर्चा है – हरियाणा का राजस्व विभाग। यह वही विभाग है जिसे लेकर सबसे अधिक भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आती रही हैं।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस विभाग के मंत्री हैं विपुल गोयल, जिनकी छवि पूरी तरह से ईमानदार, साफ-सुथरी और बेदाग मानी जाती है। साथ ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में यह स्वाभाविक था कि राजस्व विभाग को सुधारने की पहल तेज़ी से शुरू हो।


एक्शन में सरकार: भ्रष्टाचार के खिलाफ एक के बाद एक कदम

राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कार्रवाई चरणबद्ध और योजनाबद्ध रही है:

पहले भ्रष्ट तहसीलदारों की एक अनऑफिशियल सूची मीडिया में लीक होती है।

फिर वित्त आयुक्त सुमिता मिश्रा द्वारा 45 अधिकारियों की सूची जारी की जाती है।

इसके बाद कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने 14 जून को इस सूची को बढ़ाकर 108 भ्रष्ट अधिकारियों की सूची बना दी।

एक केस में तो तहसीलदार मंजीत मंडल को गिरफ्तार तक किया गया।

इसके बाद:

3 जुलाई को 36 तहसीलदारों का तबादला किया गया।

और ताज़ा जानकारी के अनुसार, 16 जिलों में 6 राजस्व अधिकारी, 23 तहसीलदार और 9 नायब तहसीलदारों को स्थानांतरित किया गया है।

भविष्य की दिशा: क्या होगा अगला कदम?

इन तबादलों और कार्रवाई से स्पष्ट है कि सरकार सिर्फ चेहरों को बदलने तक सीमित नहीं रहना चाहती। जानकार सूत्रों की मानें तो सरकार कुछ ऐसे चौंकाने वाले और साहसिक कदम उठा सकती है, जो न केवल भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करें, बल्कि बाकी कर्मचारियों में भी एक सख्त संदेश दे सकें।

भाजपा की पहचान हमेशा रही है – सरप्राइज़ एक्शन। ऐसे में यह बिल्कुल मुमकिन है कि अगली कार्रवाई में निलंबन, चार्जशीटिंग या विभागीय जांच जैसे कदम भी उठाए जाएं।

निष्कर्ष: क्या भाजपा अपने ही एजेंडे पर खरी उतर रही है?

भाजपा ने हरियाणा में शासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था का जो वादा किया था, उसकी अग्नि परीक्षा अब राजस्व विभाग में हो रही है। मंत्री विपुल गोयल की छवि, मुख्यमंत्री सैनी का समर्थन और जनता की अपेक्षाएं – तीनों मिलकर इस मुहिम को एक निर्णायक मोड़ पर ला चुकी हैं।

यदि यह मुहिम सफल होती है, तो न केवल ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ नारा और मजबूत होगा, बल्कि हरियाणा में शासन का एक नया ईमानदार मॉडल भी स्थापित होगा।