Charkhi Dadri News अमन फोगाट का जीवन 2017 में अचानक बदल गया जब पिलानी से घर लौटते समय उनकी बाइक को एक कैंटर ने टक्कर मार दी। हादसे में उनकी पैर की नस टूट गई और पैर ने काम करना बंद कर दिया। इस दर्दनाक घटना में उन्होंने अपना दाहिना पैर खो दिया।
खेलों में नई उम्मीद की शुरुआत
घटना के बाद एक साल तक उपचार और छह महीने के विश्राम ने अमन को आत्ममंथन का समय दिया। 2019 में उन्होंने जिम जाना शुरू किया और खेल में करियर बनाने की ठानी। शॉटपुट में करियर बनाने के लिए उन्होंने शहर के बलिदान स्टेडियम में अभ्यास शुरू किया।
शॉटपुट से ताइक्वांडो तक का सफर
शॉटपुट में भाग लेते समय कमर दर्द की समस्या के कारण चिकित्सकों ने उन्हें इस खेल को छोड़ने की सलाह दी। लेकिन अमन ने हार नहीं मानी। 2021 में उन्होंने ताइक्वांडो में करियर बनाने का निर्णय लिया और शहर की ग्रेवाल स्पोर्ट्स अकादमी में कोच ओमप्रकाश ग्रेवाल के मार्गदर्शन में अभ्यास शुरू किया। इस खेल में उन्होंने अब तक तीन पदक जीतकर सफलता हासिल की है और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे हैं।
परिवार का साथ और हौंसला
अमन के पिता संदीप फोगाट एक ट्रैक्टर वर्कशॉप चलाते हैं, जबकि माता कविता गृहिणी हैं। उनकी छोटी बहन निकिता एमएससी की पढ़ाई कर रही है। अमन के परिवार में पहले कोई खिलाड़ी नहीं था, लेकिन अब परिवार खेलों में उनकी पूरी मदद कर रहा है।
पहले पदक से बढ़ा आत्मविश्वास
जनवरी 2020 में अमन ने राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया और रजत पदक जीता। इससे उन्हें आत्मविश्वास मिला और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। अब तक वह खेलों में चार पदक जीत चुके हैं और अपनी कड़ी मेहनत से नए आयाम स्थापित करने की ओर बढ़ रहे हैं।
अमन फोगाट की यह कहानी प्रेरणादायक है, जो दिखाती है कि मजबूत इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है।