हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने समकक्ष हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह को सतलुज का पानी हिमाचल प्रदेश के रास्ते वैकल्पिक मार्ग से हरियाणा ले जाने की पेशकश की है. दरअसल, दक्षिण हरियाणा की प्यास बुझाने के लिए राज्य सरकार जलापूर्ति के नए विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रही है. यह प्रस्ताव उन्होंने 22 अप्रैल को हरियाणा निवास चंडीगढ़ में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक में सुखविंदर सिंह के समक्ष रखा. मामले में हिमाचल के मुख्यमंत्री ने भी इस पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है.
पानी कैसे आएगा, रूट क्या होगा और हरियाणा हिमाचल प्रदेश से कितना पानी लेना चाहता है. इस संबंध में जल्द ही दोनों राज्यों के सिंचाई एवं जल शक्ति विभाग के सचिव स्तर पर बातचीत होगी
- दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी जिलों में आज भी सिंचाई के लिए पानी की किल्लत है.
- 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में राज्य सरकार दक्षिण हरियाणा में पानी लाने के लिए यह नई पहल कर सकती है. सूत्रों का दावा है कि जल्द ही इसके लिए पूरा प्रस्ताव हिमाचल सरकार को सौंपा जाना है.
पंजाब के रास्ते हरियाणा में पानी लाने की दूरी 157 किलोमीटर है और पंजाब सरकार ने इसके लिए अधिग्रहीत जमीन भी किसानों को लौटा दी है.
जानकारों का कहना है कि पंजाब के बजाय 67 किमी हिमाचल मार्ग से सतलुज नदी का पानी लाया जा सकता है. इस पर करीब 4,200 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे
एसवाईएल हिमाचल मार्ग कमेटी ने भी सरकार को दिया सुझाव एसवाईएल हिमाचल मार्ग कमेटी ने भी हरियाणा सरकार को हिमाचल के रास्ते पानी लाने का सुझाव दिया है. कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट जितेंद्र नाथ ने पंजाब के बजाय हिमाचल के रास्ते पानी लाने का रास्ता सुझाया है.
हरियाणा में 72 ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं और अगर ऐसे ही हालात रहे तो 2039 तक राज्य का जलस्तर और नीचे चला जाएगा, जिससे समस्याएं बढ़ना तय है.