लाख सरकारी दावे के बावजूद फरीदाबाद में बच्चे पढ़ने की उम्र में कचरे बीन रहे हैं. सरकार बच्चों के भविष्य के लिए चिंतित होने का दावा कर करती है, लेकिन फरीदाबाद में नगर निगम प्रशासन और इकोग्रीन नामक कंपनी की मेहरबानी से फरीदाबाद का नौनिहाल देश के प्रधानमंत्री और सड़क परिवहन मंत्री के सपनों के एक्सप्रेसवे के नीचे देश के इन बच्चों का सपना इस कूड़े के ढेर के नीचे दबता हुआ नजर आ रहा हैं.
सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया, ताकि गरीबों के बच्चों को भी बेहतर तालीम मिल सके, लेकिन यहां बच्चे कूड़े के ढेर पर अपना भविष्य तलाश रहे हैं.
उनकी रोजी-रोटी इसी कचरे की ढेर पर टिकी हुई है.कूड़े के ढेर में कबाड़ चुनने के चलते बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं, लेकिन वह करें तो क्या करें.
- चाइल्ड प्रोटक्शन यूनिट के सदस्य प्रवीण से जब यहां कूड़े के ढेर में कबाड़ बीन रहे बच्चों के विषय पर सवाल किया गया तो, प्रवीण कहते हैं कि यहां पर हमारी सीडब्ल्यूसी की जो टीम बनी हुई है वहां जाकर एक रेस्क्यू ऑपरेशन कर लेंगे और अगर बच्चे वहां पाए जाते हैं तो इन बच्चों का रेस्क्यू करके हम सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) के सामने प्रोड्यूस करेंगे और अगर इनके आधार कार्ड नहीं बने हुए हैं, तो उनका आधार कार्ड बनवाएंगे.
- अगर स्कूल नहीं जा पा रहे हैं तो इनका स्कूल में एडमिशन करवाएंगे. हमारा मुख्य काम है इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना. प्रवीण कहते हैं कि हमारे यहां हर महीने अलग-अलग रेस्क्यू करते रहते हैं और इस तरह के बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास करते हैं.