HARYANA VRITANT

इस बार के विधानसभा चुनाव इनेलो और बसपा के लिए हरियाणा में वजूद बचाने की लड़ाई है और दोनों को ही एक दूसरे का सहारा है। इसीलिए रणनीति के तहत जाट, किसान और मजदूरों के साथ दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में गठबंधन कर उतरने वाली इनेलो और बसपा को मजबूत प्रत्याशियों की तलाश है। दोनों पार्टियां सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी हैं, लेकिन सभी सीटों पर प्रत्याशी उतराना चुनौती बना हुआ है। 

ऐसे में दोनों ही दलों को भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची जारी होने का इंतजार है। इसके बाद जिन नेताओं की टिकटें कटेंगी, इनेलो-बसपा उन पर दांव खेलने की तैयारी में हैं। फिलहाल इनेलो नेता अभय चौटाला और बसपा नेता आकाश आनंद प्रदेश के अलग-अलग हलकों में जाकर संगठन को मजबूती दे रहे हैं और प्रत्याशियों का फीडबैक ले रहे हैं।

प्रदेश की 90 में से 53 सीटों पर इनेलो और 37 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी। बेशक चुनाव की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अभी तक दोनों दल अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र तय नहीं कर पाए हैं, कि कहां से किस दल के प्रत्याशी उतारे जाएंगे। इनेलो के लिए यह चुनाव और भी बड़ी चुनौती है, क्योंकि उस पर चुनाव चिह्न चश्मे का निशान तक छीनने की नौबत आई हुई है।
इनेलो नेता अभय चौटाला खुले तौर पर कह चुके हैं कि अगर कोई और दल उनके साथ समझौता करता है तो इनेलो कुछ सीटें उसके लिए छोड़ सकता है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनेलो के पास अभी सभी सीटों पर मजबूत प्रत्याशी नहीं हैं।

आरक्षित सीटें बसपा के खाते में जा सकती हैं

संभावना है कि प्रदेश की आरक्षित 17 सीटों पर बसपा अपने उम्मीदवार उतार सकती है। क्योंकि यहां पर दलित वोट बैंक अधिक है और यहां पर अलग-अलग दलों से कई-कई नेता टिकट की दौड़ में हैं। ऐसे में बसपा को उम्मीदवार मिलने में आसानी रहेगी। इसके अलावा जहां-जहां पहले बसपा मजबूत स्थिति में रही है, वहां पर भी पार्टी प्रत्याशी उतारेगी। इनमें यमुनानगर जिले के छछरौली, जगाधरी, करनाल के असंध समेत अन्य विधानसभा क्षेत्रों से बसपा अपने प्रत्याशी उतार सकती है।

पुराने गढ़ से इनेलो को उम्मीद

इनेलो को अपने पुराने गढ़ से पूरी आस है। इसलिए इनेलो उन विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगा, जहां पर पहले इनेलो का बड़ा प्रभाव रहा है। इनमें सिरसा जिले की सभी सीटें, जींद, उचाना, जुलाना, सफीदों के साथ-साथ कैथल, कुरुक्षेत्र जिले की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे। साथ ही मेवात, भिवानी और हिसार में भी इनेलो प्रत्याशी उतारेगा। इन सभी इलाकों में 10 साल पहले इनेलो का पूरा प्रभाव था।

जजपा ने तोड़ा इनेलो का वोट बैंक

अब तक प्रदेश में बसपा को हर चुनाव में 5 से 6 प्रतिशत तक वोट मिले हैं। 2018 से पहले इनेलो प्रदेश में 15 से 28 फीसदी तक वोट लेता रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो के दो सांसद थे और उन्हें 24.4 प्रतिशत मत मिले थे। 2019 में पार्टी के दो फाड़ होने के बाद इनेलो का सबसे खराब प्रदर्शन रहा और उसे मात्र 1.9 प्रतिशत वोट मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में इनेलो से टूटकर बनी जजपा 4.9 प्रतिशत वोट ले गई। यह इनेलो का ही वोट बैंक था।

ये हैं चुनौतियां

– न इनेलो के पास मजबूत संगठन और न बसपा के पास
– सभी सीटों पर मजबूत प्रत्याशी तलाशना और उनके लिए प्रचार
– पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला उम्रदराज हैं, इसलिए प्रचार कम कर पाएंगे
– गठबंधन के तहत दोनों दलों का वोट प्रतिशत एक दूसरे को मिलना

ये हैं उम्मीदें

– दलित वोट बैंक के सहारे इनेलो को कई सीटों पर जीत की आस
– बसपा सुप्रीमो मायावती प्रचार की कमान संभालेंगी
– लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी किसान संगठन इनेलो को समर्थन दे सकते हैं