HARYANA VRITANT

Chandigarh News पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी की मौत की सजा को बरकरार रखते हुए इसे न्यायसंगत ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि इस राक्षसी कृत्य के लिए मृत्युदंड ही उचित है। अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को जल्लाद नियुक्त कर सजा को जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दिया।

गुरुग्राम में तीन वर्षीय बच्ची की हुई थी हत्या

2018 का मामला

नवंबर 2018 में गुरुग्राम के सेक्टर-65 में तीन साल की बच्ची का शव नग्न अवस्था में खून से लथपथ मिला था। दोषी, जो पीड़िता का पड़ोसी था, ने दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी थी। 2024 में गुरुग्राम की विशेष अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी।

डीएनए रिपोर्ट और साक्ष्य ने किया दोषी को साबित

गंभीर सबूतों के आधार पर फैसला

हाईकोर्ट ने दोषी सुनील की अपील पर सुनवाई करते हुए पाया कि उसने अपराध कबूल किया था। डीएनए रिपोर्ट ने पुष्टि की कि पीड़िता के शरीर पर मिले खून के धब्बे और अन्य साक्ष्य दोषी से मेल खाते हैं। इसके अलावा, अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार और घटनास्थल पर उसकी मौजूदगी के पुख्ता सबूत भी अदालत के सामने रखे गए।

दुर्लभतम मामला मानते हुए मौत की सजा उचित

हाईकोर्ट का ट्रायल कोर्ट के फैसले पर समर्थन

हाईकोर्ट ने इस मामले को दुर्लभतम मामलों में से एक माना और कहा कि यह न्यायिक अंतरात्मा को झकझोरने वाला है। बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी जघन्य हत्या दोषी के राक्षसी आचरण को दर्शाता है। ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए हाईकोर्ट ने सजा की पुष्टि की।

न्यायिक प्रक्रिया में नई मिसाल

दोषियों के लिए सख्त संदेश

यह फैसला न्यायिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जिसमें निर्दोषों के खिलाफ किए गए गंभीर अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। अदालत का यह रुख समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।