हरियाणा में भाजपा ने कुल दस लोकसभा सीटों में से छह पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। लेकिन चार सीट अभी भी ऐसी है जहां पर पार्टी को प्रत्याशियों को उतारना है। उन चार सीटों में हिसार रोहतक कुरुक्षेत्र व सोनीपत लोकसभी सीट है। पार्टी आलाकमान के लिए यहां पर जातीय समीकरण साधना बड़ी चुनौती है। कहा जा रहा है कि 22 मार्च के बाद भाजपा पत्ते खोल सकती है।
हरियाणा में छह लोकसभा सीटों पर सबसे पहले उम्मीदवार घोषित करने वाली भाजपा चार लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम तय करने को लेकर बुरी तरह से उलझ गई है। भाजपा इन चारों सीटों पर जातीय समीकरणों का संतुलन नहीं साध पा रही है।
भाजपा की निगाह कांग्रेस द्वारा घोषित किए जाने वाले टिकटों पर टिकी हुई है, ताकि उनके हिसाब से कुरुक्षेत्र, हिसार, रोहतक और सोनीपत लोकसभा सीटों पर बाकी बचे चारों उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जा सकें। इन सीटों पर जाट, सिख, वैश्य और बीसी-ए उम्मीदवारों को टिकट देने को लेकर सामंजस्य बैठाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
भाजपा ने अंबाला में बंतो कटारिया के रूप में एससी, करनाल में मनोहर लाल के रूप में पंजाबी, गुरुग्राम में राव इंद्रजीत के रूप में ओबीसी और फरीदाबाद में भी कृष्णपाल गुर्जर के रूप में ओबीसी उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारा है। भिवानी-महेंद्रगढ़ में धर्मबीर सिंह के रूप में जाट तथा सिरसा में डा. अशोक तंवर के रूप में एससी प्रत्याशियों पर भाजपा ने दांव खेला है।
अब भाजपा सिख, बीसी-ए और वैश्य के साथ एक जाट को और टिकट देना चाहती है, ताकि टिकटों के आवंटन में सभी जातियों को भरपूर प्रतिनिधित्व मिल सके। इस पर व्यापक मंथन चल रहा है। भाजपा का प्रांतीय नेतृत्व हालांकि अपनी पसंद-नापसंद से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा चुका है, लेकिन फिर भी उम्मीदवारों की घोषणा पर पेंच फंसा हुआ है।
भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की अगली बैठक 22 मार्च को होने की संभावना है, जिसमें हरियाणा की बाकी बची चारों सीटों पर संभावित उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा संभव है। रोहतक में मौजूदा सांसद डा. अरविंद शर्मा का टिकट लगभग तय है।
भाजपा यहां से फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा को चुनाव लड़वाना चाहती थी, मगर रणदीप हुड्डा द्वारा चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिए जाने की सूचना है। रणदीप हुड्डा नहीं चाहते थे कि वे कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने चुनाव लड़ें, क्योंकि हुड्डा परिवार से रणदीप हुड्डा के अच्छे संबंध हैं। इसलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।
सोनीपत में वैश्य और ब्राह्मण दावेदारों में टक्कर
सोनीपत में पूर्व मंत्री कविता जैन,पहलवान योगेश्वर दत्त और विधायक मोहन बडौली के नाम मजबूत दावेदारों में शामिल हैं। रोहतक में यदि भाजपा ब्राह्मण को टिकट देती है तो सोनीपत में वैश्य के रूप में कविता जैन की सबसे मजबूत दावेदारी बनती है।
उनके पति राजीव जैन सीएम के मीडिया सलाहकार रह चुके हैं। सबसे अधिक दिलचस्प सीट कुरुक्षेत्र है। भाजपा यहां से पूर्व सांसद नवीन जिंदल अथवा उनकी धर्मपत्नी शालू जिंदल को चुनाव लड़वाना चाहती थी, मगर जिंदल परिवार की ओर से चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया गया है। ऐसे में कुरुक्षेत्र सीट पर वैश्य के साथ रोड और सिख की दावेदारी बढ़ गई है।
हिसार, रोहतक, कुरुक्षेत्र व सोनीपत सीट पर होना है फैसला
हिसार में जाट और गैर जाट के फेर में टिकट का पेंच फंसा हुआ है। सांसद बृजेंद्र सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद यहां विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा, कैप्टन अभिमन्यु और पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के नाम मजबूत दावेदारों में शामिल हैं।
पार्टी अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंची कि बीसी-ए, जाट और गैर जाट में किस पर दांव खेला जाए। यहां तीनों उम्मीदवार मजबूत हैं। सोनीपत में वैश्य और ब्राह्मण उम्मीदवार पर फैसला नहीं हो पा रहा है। मौजूदा सांसद रमेश कौशिक का टिकट कटने की पूरी संभावना है। लोकसभा चुनाव से पहले उनकी एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने का नुकसान रमेश कौशिक को उठाना पड़ सकता है।
कुरुक्षेत्र में रोड और सिख दावेदारों में रस्साकसी
कुरुक्षेत्र में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष वेदपाल एडवोकेट टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल हैं। पार्टी ने यदि किसी सिख को टिकट देना चाहा तो यहां भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा और असंध के पूर्व विधायक स. बख्शीस सिंह के नाम मजबूती से लिए जा रहे हैं।
वैश्यों में करनाल की मेयर रेणुबाला गुप्ता का नाम भी टिकट के लिए लिया जा रहा है। उनके पति बृज गुप्ता सुलझे हुए राजनीतिक हैं। रेणुबाला और बृज गुप्ता के परिवार की गिनती गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के साथ पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समर्थकों में होती है। कुल मिलाकर 22 मार्च के बाद भाजपा इन चारों सीटों पर अपने पत्ते खोलेगी।