हरियाणा कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की सूची को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. दरअसल, प्रदेश के 5 जिले ऐसे हैं जिन पर पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया एक राय नहीं बना पाए हैं. इन जिलों में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ राज्य समन्वयकों की ओर से 3 से 5 नाम दिए गए हैं. दूसरी तरफ सभी जिलों की सूची एक साथ जारी होनी है, इसलिए पार्टी आलाकमान अब इन जिलों के वरिष्ठ नेताओं की संयुक्त बैठक बुलाने पर विचार कर रहा है. दीपक बाबरिया भी लिस्ट फाइनल को लेकर दिल्ली में हरियाणा के नेताओं से मुलाकात करने में जुटे हैं.
गौरतलब है कि हाईकमान को सूची सौंपने से पहले कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया हरियाणा का दौरा भी कर सकते हैं. संभावना है कि वह चंडीगढ़ में जिला अध्यक्ष के बाद संगठन में अन्य पदों के लिए भी मंथन करेंगे. साथ ही, लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भी नेताओं से चर्चा करेंगे. इससे पहले भी बाबरिया चंडीगढ़ आ चुके हैं.
दूसरी ओर पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदय भान के खेमे का दावा है कि कुछ नेता संगठन की सूची जारी नहीं होने दे रहे हैं. हुड्डा ग्रुप के कुछ नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले संगठन की सूची जारी करना बेहद जरूरी है. गौर करने वाली बात यह है कि हरियाणा कांग्रेस 9 साल से अधिक समय से जिला अध्यक्षों का इंतजार कर रही है.
हरियाणा में पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया 10 अक्टूबर तक जिला अध्यक्षों की सूची हाईकमान को सौंपेंगे. कुछ जिलों में नामों को लेकर विवाद चल रहा है, इसलिए अब केंद्रीय नेतृत्व कार्यकारिणी की नियुक्ति की सूची जारी करेगा. इसकी पुष्टि दीपक बाबरिया ने भी की है. उन्होंने कहा है कि पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को संगठन में तरजीह दी गई है.
पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जब अशोक तंवर और कुमारी शैलजा हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर थे, तब पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ग्रुप ने जिला अध्यक्षों की सूची जारी नहीं होने दी थी. इस गुट ने केंद्रीय नेतृत्व पर सूची जारी होने से रोकने के लिए दबाव बढ़ाया था, अब एसआरके (शैलजा, रणदीप और किरण) गुट बदला ले रहा है.